बृहद अनुवाद चन्द्रिका | Brihad Anuvad Chandrika
- श्रेणी: Grammar/व्याकरण पाठ्यपुस्तक / Textbook
- लेखक: चक्रधर हंस नौटियाल - Chakradhar Nautiyal Hans
- पृष्ठ : 707
- साइज: 12 MB
- वर्ष: 1962
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दो शब्द :
इस पाठ में संस्कृत व्याकरण की महत्ता और महर्षि पाणिनि के योगदान पर चर्चा की गई है। पाणिनि ने लगभग 500 वर्ष ईसा पूर्व एक सुव्यवस्थित और वैज्ञानिक व्याकरण की रचना की, जिसमें 4000 सूत्र और आठ अष्टाध्यायी शामिल हैं। उनका व्याकरण अन्य भाषाओं के व्याकरण की तुलना में अधिक संगठित और विस्तृत है। पाठ में पाणिनि की रचनाओं के विभिन्न पहलुओं का उल्लेख किया गया है, जैसे कि उन्होंने शब्दों की व्याख्या और शब्द निर्माण के लिए विभिन्न नियम और साधन अपनाए। इसके अलावा, व्याकरण के कुछ महत्वपूर्ण तत्वों जैसे प्रत्याहार, अनुबन्ध, और गणपाठ के बारे में भी जानकारी दी गई है। पाठ का उद्देश्य यह बताना है कि पाणिनि की व्याकरण प्रणाली न केवल संस्कृत के लिए, बल्कि अन्य भाषाओं के अध्ययन के लिए भी एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करती है। संस्कृत की व्याकरणिक संरचना की गहराई और उसके वैज्ञानिक पहलुओं को रेखांकित करते हुए, यह पाठ पाठकों को इस विषय में और अधिक जानने और समझने के लिए प्रेरित करता है। इस प्रकार, यह पाठ पाणिनि के व्याकरण के महत्व को उजागर करते हुए, उसकी विधियों और सिद्धांतों को समझने का एक प्रयास है।
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