श्री रामचरित मानस अयोध्याकाण्ड | Shri Ramcharit Manas Ayodhyakand
- श्रेणी: धार्मिक / Religious हिंदू - Hinduism
- लेखक: गोस्वामी तुलसीदास - Gosvami Tulaseedas
- पृष्ठ : 202
- साइज: 6 MB
- वर्ष: 1952
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दो शब्द :
"रामचरितमानस" के अयोध्या काण्ड का सारांश बताता है कि यह काण्ड गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित है, जिसमें भरत का चित्रण विशेष रूप से किया गया है। भरत के प्रति कवि की गहरी श्रद्धा और प्रेम को दर्शाते हुए, यह स्पष्ट होता है कि भरत केवल राम के भाई नहीं, बल्कि एक महान व्यक्तित्व हैं, जो अपने आदर्शों और संवेदनाओं के लिए जाने जाते हैं। तुलसीदास का जीवन परिचय भी इस काण्ड में समाहित है, जिसमें उनके जन्म, शिक्षा और उनके वैराग्य की कथा शामिल है। तुलसीदास का पालन-पोषण एक दासी द्वारा हुआ, और उनके जीवन में राम की कथा का विशेष महत्व रहा है। उन्होंने अपने गुरु नरहरिदास से रामकथा सुनी और बाद में उन्होंने वैराग्य धारण किया, जिससे उनकी रामभक्ति और भी गहरी हो गई। तुलसीदास ने अयोध्या की यात्रा की और वहां की सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक स्थिति का अवलोकन किया। उन्होंने चित्रकूट, काशी और अन्य पवित्र स्थलों का भी भ्रमण किया। अंततः वे काशी में बस गए, जहां उन्होंने रामभक्ति में अपने जीवन के अंतिम क्षण बिताए। इस काण्ड में राम के विवाह, भरत के प्रेम और उनके परिवार के बीच की भावनाओं की गहराई को दर्शाया गया है। तुलसीदास का यह काण्ड न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि भाईचारे, प्रेम और त्याग की अनूठी मिसाल भी प्रस्तुत करता है।
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