संस्कृत और हिंदी | Sanskrit Aur Hindi
- श्रेणी: संस्कृत /sanskrit साहित्य / Literature हिंदी / Hindi
- लेखक: जानकीप्रसाद - Jankiprasad
- पृष्ठ : 226
- साइज: 28 MB
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दो शब्द :
इस पाठ में लेखक ने संस्कृत और हिंदी भाषाओं के महत्व और विकास पर चर्चा की है। उन्होंने बताया है कि भारत में अनेक भाषाएँ हैं, लेकिन संस्कृत का एक विशेष स्थान है। संस्कृत ने हजारों वर्षों तक भारतीय संस्कृति, धर्म, दर्शन, विज्ञान, और चिकित्सा के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह भाषा भारत की एकता और अखंडता का प्रतीक रही है, और इसके जरिए अनेक महान विचार और साहित्य रचने का कार्य किया गया है। लेखक ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि भारत में भाषा की समस्या कभी गंभीर नहीं रही, क्योंकि संस्कृत ने पहले ही इस समस्या का समाधान कर लिया था। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भगवान बुद्ध और भगवान महावीर ने संस्कृत के स्थान पर लोकभाषा का उपयोग किया, जिससे यह सिद्ध होता है कि संस्कृत को एक प्रतिद्वंद्वी भाषा का सामना करना पड़ा। हालांकि, समय के साथ संस्कृत का स्थान कुछ हद तक कम हुआ और अन्य भाषाएँ, विशेषकर अरबी और फारसी, प्रभावी हुईं। लेकिन लेखक का तर्क है कि संस्कृत ने भारतीय संस्कृति में एक स्थायी भूमिका निभाई है और इसकी उपेक्षा नहीं की जा सकती। अंत में, लेखक ने बताया कि पिछले डेढ़-दो शताब्दियों में अंग्रेजी ने भारतीय भाषाओं, विशेष रूप से संस्कृत, पर प्रभाव डाला है। शिक्षा और विचारों की भाषा के रूप में अंग्रेजी ने संस्कृत का स्थान ले लिया है। इस प्रकार, पाठ में भारतीय भाषाओं की ऐतिहासिक यात्रा, संस्कृत के योगदान, और आधुनिक समय में भाषा की स्थिति का विवेचन किया गया है।
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