ललितविस्तरा | Lalitavistara
- श्रेणी: बौद्ध / Buddhism साहित्य / Literature
- लेखक: शांति भिक्षु शास्त्री - Shanti Bhikshu Shastri
- पृष्ठ : 956
- साइज: 29 MB
- वर्ष: 1970
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दो शब्द :
इस पाठ में शिक्षा और समाज के क्षेत्र में भारतीय भाषाओं के माध्यम से शिक्षण की व्यवस्था, विशेष रूप से हिंदी भाषा में ग्रंथ निर्माण की प्रक्रिया का वर्णन किया गया है। 1968 में भारत सरकार ने शिक्षा नीति की घोषणा की, जिसके अनुसार विभिन्न विषयों पर विश्वविद्यालय स्तर की 117 पाठ्यपुस्तकों का निर्माण शुरू किया गया। इस कार्य के तहत हर राज्य में ग्रंथ अकादमी की स्थापना की गई। लेखक ने अपने अनुभव और कार्यों का उल्लेख करते हुए बताया है कि उन्होंने श्रीलंका में तेरह वर्षों तक काम किया और इस दौरान उन्होंने कई ग्रंथों का प्रकाशन किया। उन्होंने यह भी बताया कि किस प्रकार उनके द्वारा किए गए कार्यों की सामग्री प्रकाशन योग्य थी। इसके अलावा, उन्होंने बुद्ध के जीवन और उनके धर्म के प्रचार का भी उल्लेख किया, जिसमें तथागत के मानव-जीवन और उनके उपदेशों का महत्व बताया गया है। पाठ में यह भी स्पष्ट किया गया है कि बुद्ध का जीवन किस प्रकार उनके अनुयायियों के लिए प्रेरणास्त्रोत बना और उनके संदेश ने समाज में बड़े परिवर्तन लाए। तथागत का मानव रूप में आना और उनके उपदेशों का प्रभाव इस बात को दर्शाता है कि धर्म और जीवन के प्रति उनकी दृष्टि कितनी गहन थी। अंत में, लेखक ने यह भी उल्लेख किया कि बुद्ध का जीवन और उनके संदेश न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक बदलाव के लिए भी प्रेरणा स्रोत थे, जिसने जाति-पाँति की सीमाओं को पार करते हुए एक समावेशी समाज का निर्माण किया।
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