कविता -कौमुदी | Kavita - Kaumudi
- श्रेणी: काव्य / Poetry साहित्य / Literature
- लेखक: रामनरेश त्रिपाठी - Ramnaresh Tripathi
- पृष्ठ : 582
- साइज: 28 MB
- वर्ष: 1946
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दो शब्द :
इस पाठ में काव्य और उसकी विशेषताओं पर चर्चा की गई है। लेखक ने काव्य को साहित्य का एक महत्वपूर्ण अंग माना है, जो मनुष्यों को अलौकिक आनंद प्रदान करता है। काव्य का एक छोटा सा पद भी श्रोताओं में गहरा प्रभाव डाल सकता है। लेखक के अनुसार, काव्य में आनंद और उपदेश दोनों होते हैं, और यह कवि के हृदय का गान होता है। पाठ में रस की परिभाषा दी गई है, जिसे आनंद का स्रोत माना गया है। रस तब उत्पन्न होता है जब विभाव, अनुभाव और संचारी भाव मिलते हैं। स्थायी भावों की पहचान करते हुए, लेखक ने नौ स्थायी भावों और उनसे उत्पन्न नौ रसों का उल्लेख किया है। इसके अलावा, काव्य में गुण की भी आवश्यकता होती है, जैसे माधुर्य, ओज और प्रसाद। काव्य की भाषा को संदर्भित करते हुए, लेखक ने बताया है कि इसे हमेशा रसों के अनुसार होना चाहिए। विभिन्न छंदों की विशेषताओं का उल्लेख करते हुए, लेखक ने कहा है कि छंद काव्य में रस को और अधिक प्रभावशाली बनाते हैं। कवि की भूमिका पर चर्चा करते हुए, लेखक ने बताया कि कवि सृष्टि के सौंदर्य का मर्मज्ञ होता है और उसकी रचनाएँ उसके हृदय की गहराइयों से आती हैं। पाठ का सार यह है कि काव्य केवल शब्दों का खेल नहीं है, बल्कि यह भावनाओं, रसों, और गुणों का संगम है, जो पाठकों और श्रोताओं के हृदय में गहरा प्रभाव डालता है। कवि की विशेषता यह है कि वह अपने हृदय की गहराइयों से सृष्टि के सौंदर्य को प्रकट करता है।
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