आयुर्वेदीय व्याधिविज्ञान उतरार्ध | Ayurvediya Vyadhivigyan Uttarardh

By: अज्ञात - Unknown
आयुर्वेदीय व्याधिविज्ञान उतरार्ध | Ayurvediya Vyadhivigyan Uttarardh by


दो शब्द :

यह ग्रंथ आयुर्वेद के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले आचार्य यादवजी त्रिकमजी आचार्य के जीवन और कार्यों का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत करता है। आचार्यजी का जन्म 1538 में काठियावाड़ के पोरबंदर में हुआ और उन्होंने आयुर्वेद में अपनी अनूठी पहचान बनाई। उनके पिता और दादा भी प्रसिद्ध विद्वान थे। आचार्यजी ने शिक्षा प्राप्त करने के बाद चिकित्सा क्षेत्र में कदम रखा और आयुर्वेद के विभिन्न ग्रंथों का संपादन और प्रकाशन किया। उन्होंने आयुर्वेद ग्रंथमाला की स्थापना की, जिसका उद्देश्य वैद्य समुदाय को सुलभता से आयुर्वेदीय ग्रंथ उपलब्ध कराना था। उन्होंने कई महत्वपूर्ण ग्रंथों का संपादन किया, जिनमें 'माधव निदान', 'रसहृदयतन्त', और 'नाड़ीपरीक्षा' शामिल हैं। आचार्यजी ने अनेक भाषाओं में अध्ययन किया और चिकित्सा विज्ञान को समृद्ध करने के लिए विभिन्न विषयों पर ग्रंथ लिखे। वे भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलन के अध्यक्ष रहे और उनके कार्यों ने आयुर्वेद के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आचार्यजी का निधन 1976 में जामनगर में हुआ, जिससे आयुर्वेद जगत को अपूरणीय क्षति हुई। उनका जीवन अध्ययन, शिक्षण और चिकित्सा के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है, और उनकी उपलब्धियाँ आज भी आयुर्वेद के क्षेत्र में प्रेरणा देती हैं।


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