श्री विचार सागर दर्पण | Shri Vichar Sagar Darpan

By: श्रीस्वामी मनोहरदासजी महाराज - Shriswami Manohardasji Maharaj


दो शब्द :

यह पाठ "विचारसागरदर्पण" नामक ग्रंथ का परिचय और उसकी महत्ता पर केंद्रित है। लेखक स्वामी मनोहरदासजी ने "विचारसागर" नामक मूल ग्रंथ को आधुनिक हिंदी में अनुवादित करके इसे सरल और समझने योग्य बनाया है। मूल ग्रंथ की भाषा प्राचीन थी, जिससे आधुनिक पाठकों को समझने में कठिनाई होती थी। "विचारसागरदर्पण" का उद्देश्य इस कठिनाई को दूर करना है और वेदांत दर्शन के अद्वितीय सिद्धांतों को सरलता से प्रस्तुत करना है। इस ग्रंथ में वेदांत दर्शन के महत्वपूर्ण विचारों को प्रश्नोत्तर के रूप में प्रस्तुत किया गया है। लेखक ने विभिन्न ग्रंथों जैसे गीता, उपनिषद, और अन्य धार्मिक शास्त्रों के सार को संक्षेप में समाहित किया है। इस पुस्तक का अध्ययन करने से पाठक वेदांत के सिद्धांतों को आसानी से समझ सकते हैं, विशेषकर उन लोगों के लिए जो संस्कृत नहीं जानते। स्वामी मनोहरदासजी का यह प्रयास उन जिज्ञासुओं के लिए उपयोगी है जो वेदांत के गूढ़ विषयों को समझने में कठिनाई का सामना कर रहे हैं। लेखक ने सरल और स्पष्ट भाषा में ज्ञात विषयों को समझाया है, जिससे पाठकों को आत्मज्ञान की ओर बढ़ने में मदद मिलती है। यह ग्रंथ न केवल ज्ञान की प्राप्ति के लिए सहायक है, बल्कि यह पाठकों की आध्यात्मिक जिज्ञासा को भी संतुष्ट करता है। इसे पढ़ने के बाद, पाठक मूल "विचारसागर" का अध्ययन करने में भी सक्षम हो जाएंगे। इस प्रकार, "विचारसागरदर्पण" एक महत्वपूर्ण माध्यम है जो वेदांत दर्शन के गूढ़ तत्वों को सरलता से प्रस्तुत करता है।


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