भारतीय दर्शन | Bharatiya Darshan
- श्रेणी: Vedanta and Spirituality | वेदांत और आध्यात्मिकता दार्शनिक, तत्त्वज्ञान और नीति | Philosophy
- लेखक: सतीशचन्द्र चट्टोपाध्याय - Satishchandra Chattopadhyay
- पृष्ठ : 450
- साइज: 18 MB
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दो शब्द :
इस पाठ में भारतीय दर्शन के मूल सिद्धांतों और उसकी विशेषताओं का वर्णन किया गया है। यह बताया गया है कि दर्शन का अर्थ केवल तात्त्विक विचार करना नहीं है, बल्कि यह मानव जीवन के उद्देश्य और अस्तित्व की गहराई से समझने का प्रयास है। भारतीय दर्शन को "दर्शन" कहा जाता है, जबकि पश्चिमी दर्शन को "फिलासफी" के रूप में जाना जाता है। पाठ में यह भी उल्लेख किया गया है कि भारतीय दर्शन का क्षेत्र विस्तृत है और इसमें विभिन्न शाखाएँ शामिल हैं, जैसे कि न्याय, सांख्य, योग, वेदांत आदि। हर शाखा के अपने सिद्धांत और दृष्टिकोण हैं, जो मानव जीवन, प्रकृति और ईश्वर के संबंध को समझने का प्रयास करते हैं। भविष्य के परिणामों और जीवन के गहरे प्रश्नों के समाधान की खोज में, मनुष्य बुद्धि का उपयोग करता है, जो उसे अन्य जीवों से अलग करता है। भारतीय दर्शन में तत्त्व का अन्वेषण आवश्यक है, जिससे जीवन का सही ज्ञान और मार्गदर्शन प्राप्त होता है। पाठ का मुख्य उद्देश्य यह है कि भारतीय दर्शन न केवल ज्ञान का एक स्रोत है, बल्कि यह जीवन जीने की एक विधि भी प्रस्तुत करता है, जो मानवता को एक उच्च आदर्श की ओर प्रेरित करता है।
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