चरक संहिता ऑफ़ अग्निवेसा | Charak Samhita of Agnivesha

By: पंडित तारादत्त पंत - pandit taradatt pant
चरक संहिता ऑफ़ अग्निवेसा  | Charak Samhita of Agnivesha by


दो शब्द :

यह पाठ आयुर्वेद के एक महत्वपूर्ण ग्रंथ, "चरक संहिता" से संबंधित है, जिसमें शीतज्वर और उससे संबंधित उपचार विधियों का वर्णन किया गया है। इसमें विभिन्न प्रकार के ज्वर, स्वेद (पसीना), और उनके उपचार के लिए औषधियों के प्रभाव का विश्लेषण किया गया है। शीतज्वर के संबंध में, पसीने की प्रक्रियाओं, आहार-विहार, और विभिन्न औषधियों के सेवन के माध्यम से ज्वर का उपचार कैसे किया जाए, इस पर ध्यान केंद्रित किया गया है। पाठ में स्वेद की तीन प्रकार की विधियों का उल्लेख किया गया है और यह बताया गया है कि किस प्रकार से स्वेद से ज्वर का उपचार किया जा सकता है। इसके साथ ही, वात, कफ, और पित्त doshas के संतुलन को बनाए रखने के लिए क्या उपाय किए जाने चाहिए, इस पर भी चर्चा की गई है। यह स्पष्ट किया गया है कि ज्वर के विभिन्न प्रकारों के लिए अलग-अलग औषधियाँ और उपचार विधियाँ अपनाई जानी चाहिए। पाठ में यह भी बताया गया है कि ज्वर के कारणों की पहचान करने के लिए रोगी के लक्षणों का सावधानीपूर्वक अध्ययन करना आवश्यक है। इस प्रकार, यह ग्रंथ चिकित्सा पद्धतियों और औषधीय ज्ञान का समृद्ध स्रोत है, जो आयुर्वेदिक चिकित्सा के सिद्धांतों और प्रथाओं को समझने में सहायक है।


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