हिन्दू भारतका अप्नन्त । | Hindu Bharat Ka Apnanta
- श्रेणी: इतिहास / History दार्शनिक, तत्त्वज्ञान और नीति | Philosophy
- लेखक: भगवन दास - Bhagwan Das
- पृष्ठ : 806
- साइज: 14 MB
- वर्ष: 1928
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दो शब्द :
इस पाठ में श्री चिंतामणि विनायक बैयजी की इच्छा की चर्चा की गई है, जिसमें वे भारत के मध्यकालीन इतिहास को जनसामान्य के सामने प्रस्तुत करना चाहते हैं। वे पैधजी की देशभक्ति, विद्या, सरलता और श्रमशीलता की सराहना करते हैं और उनके कार्य को आगे बढ़ाने का संकल्प लेते हैं। बैयाजी ने यह महसूस किया कि भारत के इतिहास को जानने की आवश्यकता है, विशेषकर 600 से 1200 ईस्वी के बीच के घटनाक्रमों को, जो इस पुस्तक के माध्यम से विस्तार से वर्णित किया गया है। वे पाठकों को प्रोत्साहित करते हैं कि वे इस ग्रंथ को पढ़ें और समझें कि किन कारणों से भारत में विभिन्न जातियों का उत्थान और पतन हुआ। इतिहास के महत्व को रेखांकित करते हुए, बैयाजी कहते हैं कि वेदों और पुराणों के माध्यम से ज्ञान की प्राप्ति होती है। वे यह स्पष्ट करते हैं कि एक अच्छे इतिहास के अध्ययन से ही व्यक्ति की शिक्षा और ज्ञान में वृद्धि होती है। पुस्तक में इतिहास के कई महत्वपूर्ण पहलुओं को शामिल किया गया है, जिसमें महमूद गज़नी के आक्रमण और भारतीय साम्राज्य के पतन की चर्चा की गई है। बैयाजी भारतीय इतिहास की समग्रता को समझाने का प्रयास करते हैं और पाठकों को प्रेरित करते हैं कि वे अपनी जिम्मेदारी को समझें और देश के उद्धार में योगदान दें। अंत में, बैयाजी ने इस काम में शामिल विद्वानों और उनके योगदान की सराहना की है और आशा व्यक्त की है कि आने वाली पीढ़ी इस ज्ञान को ग्रहण करेगी।
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