दो शब्द :

पाठ में मुंशी देवीप्रसाद द्वारा लिखित 'शाहजहा-नामा' का महत्व और उसके प्रकाशन की प्रक्रिया का वर्णन किया गया है। यह ग्रंथ शाहजहां के शासनकाल के इतिहास पर आधारित है और इसके माध्यम से उस समय की राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों की जानकारी मिलती है। लेखक ने बताया है कि इस ग्रंथ का अनुवाद और संपादन कितनी आवश्यकता है, क्योंकि शाहजहां के शासनकाल पर कोई व्यापक अध्ययन हिंदी या अंग्रेजी में उपलब्ध नहीं है। पाठ में यह भी उल्लेख है कि मुंशी देवीप्रसाद ने राजस्थानी इतिहास के विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर अध्ययन किया और उसे हिंदी में लिखा, जिससे स्थानीय इतिहास के प्रति जागरूकता बढ़ी। 'शाहजहां-नामा' को एक महत्वपूर्ण स्रोत माना गया है, जो दैनिक जीवन, प्रशासन, तथा सामरिक अभियानों की विस्तृत जानकारी प्रदान करता है। लेखक ने यह भी बताया है कि इस ग्रंथ की कई प्रतियां दुर्लभ हैं और इन्हें प्राप्त करना चुनौतीपूर्ण रहा। उन्होंने अपने शोध कार्य के लिए आवश्यक दस्तावेजों को इकट्ठा करने में अनेक प्रयास किए और विभिन्न स्रोतों से सहायता प्राप्त की। अंततः, मनोहर सिंह राणावत को इस ग्रंथ के संपादन का कार्य सौंपा गया, जिससे पाठ का नया संस्करण तैयार किया जा सका। इस प्रकार, पाठ में 'शाहजहां-नामा' के महत्व, उसके शोध और संपादन की प्रक्रिया, और मुंशी देवीप्रसाद के योगदान पर प्रकाश डाला गया है।


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