रत्नावली नाटिका | Ratnavali Natika

By: चुन्नीलाल शुक्ल - Chunnilal Shukl
रत्नावली नाटिका  | Ratnavali Natika by


दो शब्द :

इस पाठ में महाकवि श्रीहर्ष द्वारा रचित "रत्नावली" नाटिका का अध्ययन और विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है। इसमें लेखक ने हर्ष के शासन काल, उनके जीवन, और उनकी राजनीतिक स्थिति पर प्रकाश डाला है। हर्षवर्धन ने अपने पिता प्रभाकर वर्धन और बड़े भाई राज्यवर्धन के बाद शासन संभाला। उनके शासन काल में उत्तरी भारत का राजनीतिक परिदृश्य मजबूत हुआ, जिसमें उन्होंने कई युद्धों में विजय प्राप्त की और साम्राज्य का विस्तार किया। हर्ष का शासन केवल सैन्य विजय तक सीमित नहीं था, बल्कि वे एक विद्वान और कवि भी थे। उन्होंने विद्वानों और कवियों को प्रोत्साहित किया और धार्मिक सहिष्णुता का पालन किया। उनके शासन में आयोजित धार्मिक उत्सवों का वर्णन भी किया गया है, जिसमें उन्होंने ब्राह्मणों और अन्य धर्मों के अनुयायियों को सम्मानित किया और उन्हें दान दिया। पाठ में हर्ष की तुलना सम्राट अशोक और अन्य महान शासकों से की गई है, यह दर्शाते हुए कि वे एक साहसी और कुशल शासक थे, जिन्होंने अपने शासन में धार्मिक सहिष्णुता और सामाजिक न्याय की स्थापना की। अंत में, हर्ष का निधन और उनके बाद की राजनीतिक स्थिति का भी उल्लेख किया गया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उनके निधन के बाद प्रजा में असंतोष और अव्यवस्था का साम्राज्य स्थापित हो गया।


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