भारतीय दर्शन | Bhartiya Darshan

By: उमेश कुमार मिश्र - Umesh Kumar Mishr


दो शब्द :

भारतीय दर्शन की पुस्तक की भूमिका में बताया गया है कि भारतीय संस्कृति और परंपरा को सत्य की खोज की निरंतर परंपरा के रूप में देखा जाता है। यह परंपरा अनेकानेक अलौकिक प्रश्नों पर चिंतन करती रही है और इसी के साथ भारत की विशेष पहचान "अनेकता में एकता" के रूप में विकसित हुई है। पुस्तक के लेखक, डॉ. उमेश मिश्र, ने इस विषय को सरल और संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है, जिससे सभी पाठक वर्गों को भारतीय दर्शन की जानकारी मिल सके। इस पुस्तक में भारतीय दर्शन के विभिन्न पहलुओं को 16 अध्यायों में विभाजित किया गया है, जिसमें वेदों, उपनिषदों, भगवत गीता, चार्वाक, जैन, बौद्ध और अन्य दर्शनों की गहराई से चर्चा की गई है। लेखक ने गूढ़ विषय को सरल भाषा में प्रस्तुत करने में सफलता हासिल की है, जिससे यह पुस्तक विद्वानों, शोधार्थियों, और सामान्य पाठकों के लिए उपयोगी बन गई है। पुस्तक के प्रकाशन के पीछे एक उद्देश्य है - भारतीय दर्शन के गूढ़ तत्त्वों को समझाना और उन्हें एक समग्र दृष्टिकोण से प्रस्तुत करना। लेखक ने यह सुनिश्चित किया है कि पाठक भारतीय दर्शन की विविधताओं और उनके बीच के समन्वय को समझ सकें। इसके अलावा, यह पुस्तक विभिन्न दर्शनों के सिद्धांतों के बीच तुलनात्मक अध्ययन को भी प्रोत्साहित करती है, ताकि पाठक विभिन्न दृष्टिकोणों को स्पष्ट रूप से समझ सकें। कुल मिलाकर, "भारतीय दर्शन" पुस्तक एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है जो भारतीय दर्शन की गहराई और विविधता को सरल और संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत करता है, जिससे यह पाठकों के लिए संग्रहणीय और प्रेरणादायक बनती है।


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