ब्रज लोक साहित्य का अध्ययन | Braj Lok Sahitya Ka Adhyayan

By: सत्येन्द्र - Satyendra
ब्रज लोक साहित्य का अध्ययन | Braj Lok Sahitya Ka Adhyayan by


दो शब्द :

यह पाठ ब्रजलोक साहित्य के अध्ययन पर आधारित है। लेखक डॉ. सत्येंद्र प्रगति ने लोक-साहित्य के महत्व और उसके व्यवस्थित अध्ययन की आवश्यकता पर बल दिया है। उन्होंने बताया है कि हिंदी में लोक-साहित्य का वैज्ञानिक अध्ययन बहुत कम हुआ है, और यह ग्रंथ इस दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। पुस्तक में लोक-साहित्य के विभिन्न पहलुओं का विस्तृत विवेचन किया गया है, जिसमें लोक-जीवन, लोक-गीत, लोककथाएँ, और अन्य स्थानीय साहित्य का वर्गीकरण और मूल्यांकन शामिल है। लेखक ने यह भी उल्लेख किया है कि इस ग्रंथ में लोक-साहित्य के रूपों का वर्गीकरण और उनका साहित्यिक मूल्यांकन किया गया है, जो समाज विज्ञान, जाति विज्ञान और संस्कृति के तत्वों से संबंधित है। लेखक ने विभिन्न विद्वानों से उद्धरण लिया है, लेकिन अपनी मौलिक दृष्टि बनाए रखी है। उन्होंने इस ग्रंथ में अपनी पूर्व प्रकाशित रचनाओं को भी समाहित किया है। पुस्तक में सामग्री संकलन के लिए कई व्यक्तियों और संस्थाओं का आभार व्यक्त किया गया है। इस अध्ययन का मुख्य उद्देश्य लोक-साहित्य की साहित्यिक मूल्यांकन करना है, जिससे लोक-साहित्य के विविध रूपों और उनके सामाजिक संदर्भों को समझा जा सके। लेखक ने अध्ययन को एक प्रारंभिक दिशा के रूप में प्रस्तुत किया है, जिससे आगे और शोध की संभावना बनी रहे। पुस्तक में विभिन्न अध्यायों के माध्यम से ब्रजलोक साहित्य के प्रकार, लोक-गीतों का अध्ययन, लघु-छंद कहानियाँ, लोककथाएँ, और उपसहार का विश्लेषण किया गया है। इस प्रकार, यह ग्रंथ ब्रजलोक साहित्य के समग्र अध्ययन का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।


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