भारतीय मिथक कोष | Bharatiya Mithak Kosh
- श्रेणी: धार्मिक / Religious साहित्य / Literature
- लेखक: डॉ-उषा-पुरी-विद्यावाचस्प - Dr Usha Puri Vidhyavachasp
- पृष्ठ : 556
- साइज: 14 MB
- वर्ष: 1986
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दो शब्द :
यह पाठ भारतीय मिथकों के महत्व और उनकी भूमिका पर केंद्रित है। इसमें बताया गया है कि साहित्य में मिथक, पुराण, और लोककथाएं कैसे वास्तविकता और अलौकिकता के बीच एक पुल का काम करती हैं। मिथक केवल कहानियाँ नहीं हैं, बल्कि वे मानव अनुभवों, विश्वासों और सांस्कृतिक संदर्भों का एक समृद्ध संग्रह हैं, जो समय के साथ विकसित होते हैं। लेखक ने यह भी चर्चा की है कि मिथक को समझने के लिए हमें उनके पीछे के आदिम विश्वासों को जानना आवश्यक है। मिथक मानव मन की गहराई में छिपे अनुभवों और भावनाओं को प्रकट करते हैं। वे भाषा और साहित्य का अभिन्न हिस्सा हैं, जो न केवल मनोरंजन करते हैं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान को भी मजबूत करते हैं। मिथकों का अध्ययन न केवल प्राचीन ग्रंथों में, बल्कि आधुनिक साहित्य में भी महत्वपूर्ण है। ये चरित्र, कथाएं और प्रतीकात्मकता के माध्यम से मानवता के विभिन्न पहलुओं को उजागर करते हैं। पाठ में यह भी बताया गया है कि कैसे मिथक विभिन्न संस्कृतियों में समानता या भिन्नता के संकेत देते हैं। अंततः, यह पाठ यह दर्शाता है कि मिथक न केवल ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहर हैं, बल्कि वे आज भी समाज और संस्कृति में जीवित हैं और हमारे दैनिक जीवन में गहराई से जुड़े हुए हैं।
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