पदमावत | Padmavat
- श्रेणी: भारत / India साहित्य / Literature
- लेखक: श्री वासुदेवशरण अग्रवाल - Shri Vasudevsharan Agarwal
- पृष्ठ : 1047
- साइज: 40 MB
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दो शब्द :
पदमावत, मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित एक महाकाव्य है, जो हिंदी साहित्य का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। यह काव्य प्रेम के तत्व को केंद्र में रखकर लिखा गया है और इसमें भाषा की समृद्धि, ऐतिहासिक कथावस्तु, और जीवन के गहन अनुभवों का समावेश है। पदमावत की विशेषताओं में इसकी माधुर्यपूर्ण अवधी भाषा, गहन भावनाएँ, और चित्रात्मक अभिव्यक्ति शामिल हैं। यह काव्य प्रेम की निर्मल ज्योति को उजागर करता है और मानव जीवन के चिरंतन सत्य को प्रस्तुत करता है। जायसी की प्रतिभा उस समय के साहित्यिक उत्थान का प्रतीक है, जब हिंदी भाषा अपने विकास के चरम पर थी। उन्होंने अपने काव्य में चित्रात्मकता और भावों की गहराई को अभिव्यक्त किया है। पदमावत का अध्ययन न केवल भाषा की दृष्टि से बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इसमें प्रेम की साधना और आध्यात्मिक दृष्टिकोण की झलक मिलती है, जो इसे अन्य काव्यों से अलग बनाती है। कवि ने पदमावत में प्रेम को एक साधना के रूप में प्रस्तुत किया है, जिसमें प्रेमी और प्रेमिका का संबंध आध्यात्मिक और भौतिक दोनों रूपों में दर्शाया गया है। जायसी ने प्रेम को एक ऐसी शक्ति बताया है, जो मानव को सीमाओं से मुक्त कर उसे ब्रह्मा के निकट लाती है। इससे यह स्पष्ट होता है कि पदमावत केवल प्रेम कथा नहीं है, बल्कि एक गहरी आध्यात्मिकता और जीवन की सच्चाइयों का प्रतीक है। इस महाकाव्य में जटिल भावनाओं को सरलता से प्रस्तुत किया गया है और यह दर्शाता है कि प्रेम के माध्यम से मानव जीवन में सार्थकता और गहराई कैसे प्राप्त की जा सकती है। पदमावत की यह संजीवनी व्याख्या इसकी गहराई को और भी उजागर करती है और इसे हिंदी साहित्य का एक अमूल्य रत्न बनाती है।
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