भारतीय ज्योतिष का इतिहास | Bhartiya jyotish Ka Itihas
- श्रेणी: ज्योतिष / Astrology भारत / India
- लेखक: गोरख प्रसाद - Gorakh Prasad
- पृष्ठ : 312
- साइज: 19 MB
- वर्ष: 1957
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दो शब्द :
इस पाठ में हिन्दी परामर्श समिति की स्थापना और उसके उद्देश्यों का वर्णन किया गया है। यह समिति उत्तर प्रदेश सरकार के शिक्षा विभाग के अंतर्गत कार्यरत है और इसका उद्देश्य हिन्दी साहित्य को प्रोत्साहित करना तथा हिन्दी में ग्रन्थों का प्रणयन करना है। समिति ने एक पंच वर्षीय योजना बनाई है जिसके तहत पांच वर्षों में 300 पुस्तकों का प्रकाशन किया जाएगा। इन पुस्तकों में वे सभी विषय शामिल किए जाएंगे जिनके बारे में हिन्दी में सामग्री की कमी है। लेखक ने बताया है कि हिन्दी की प्रतिष्ठा बढ़ाने के साथ-साथ इसे उच्चतम शिक्षा में भी उपयोगी बनाना आवश्यक है। इसके लिए आवश्यक है कि हिन्दी में सभी विषयों पर प्रमाणित ग्रन्थ उपलब्ध हों। लेखक ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस प्रकाशन कार्य का उद्देश्य व्यवसाय नहीं, बल्कि ऐसे ग्रन्थों का प्रकाशन करना है जो अन्यत्र नहीं मिल पाते। पुस्तक का मुख्य उद्देश्य पाठकों को ज्योतिष के विषय में सरलता से जानकारी प्रदान करना है। इसमें ज्योतिष के पारिभाषिक शब्दों को सरलता से समझाया गया है ताकि ज्योतिष न जानने वाले भी इसका लाभ उठा सकें। लेखक ने विभिन्न स्रोतों का उल्लेख किया है जिनसे उन्हें सहायता मिली है, और उन्होंने भारतीय ज्योतिष के इतिहास और इसके विकास पर चर्चा की है। पाठ में यह भी बताया गया है कि प्राचीन काल में ज्योतिष का ज्ञान कितना महत्वपूर्ण था और कैसे समय की माप के लिए विभिन्न एकाइयों का उपयोग किया जाता था, जैसे दिन, मास और वर्ष। लेखक ने विभिन्न धार्मिक ग्रंथों का उल्लेख करते हुए यह स्पष्ट किया है कि ज्योतिष का अध्ययन न केवल कृषि के लिए बल्कि धार्मिक अनुष्ठानों के लिए भी आवश्यक था। इस प्रकार, यह पाठ हिन्दी में ज्योतिष और उसके अध्ययन की महत्ता को दर्शाता है और हिन्दी साहित्य के विकास के लिए की जा रही कोशिशों की जानकारी प्रदान करता है।
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