स्त्री और पुरुष | Stree aur Purush
- श्रेणी: महिला / Women स्वसहायता पुस्तक / Self-help book
- लेखक: अज्ञात - Unknown
- पृष्ठ : 160
- साइज: 5 MB
- वर्ष: 1927
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दो शब्द :
इस पाठ में विवाह और दांपत्य जीवन के महत्व, संयम और ब्रह्मचर्य के पालन पर जोर दिया गया है। प्रकाशक जीतमल लूणिया ने सस्ती और उपयोगी पुस्तकों के प्रकाशन का उद्देश्य प्रस्तुत किया है, जो समाज को उच्च नैतिकता के प्रति जागरूक करने के लिए हैं। लेखक ने यह बताया है कि भोग-विलास और असंयमित जीवनशैली समाज और व्यक्तिगत जीवन में कलह और पतन का कारण बन रही है। विवाह और दांपत्य जीवन के सच्चे उद्देश्यों को भूल जाने के कारण शारीरिक और मानसिक हानि हो रही है। समाज में फैलते व्यभिचार और विषय-छुधा के शिकार होने से लोग अपने दांपत्य जीवन को अस्थिर बना रहे हैं। यह भी बताया गया है कि संयम और ब्रह्मचर्य का पालन करके ही व्यक्ति अपने जीवन को उच्च और सुन्दर बना सकता है। लेखक ने यह भी चिंता व्यक्त की है कि विवाह के पहले और बाद में विषयोपभोग को एक सामान्य विषय के रूप में लिया जा रहा है, जो कि न केवल नैतिकता का उल्लंघन है बल्कि समाज में गंभीर समस्याएं उत्पन्न कर रहा है। उन्होंने यह सुझाव दिया है कि माता-पिता को अपने बच्चों को सही शिक्षा देना चाहिए ताकि वे विवाह के महत्व को समझ सकें और संयम का पालन कर सकें। अंत में, पाठ का सार यह है कि हमें अपनी जीवनशैली को सुधारने, संयम बनाए रखने और दांपत्य जीवन के सच्चे उद्देश्यों को समझने की आवश्यकता है ताकि समाज में नैतिकता और उच्च मूल्यों को बनाए रखा जा सके।
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