यास्क प्रणीत निरूक्तम | Nirukta of Yaska

- श्रेणी: श्लोका / shlokas संस्कृत /sanskrit
- लेखक: उमाशंकर - Umashankar
- पृष्ठ : 318
- साइज: 5 MB
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दो शब्द :
यह पाठ "निरुक्त" पर आधारित है, जो यास्क द्वारा लिखित है। इसमें भाषा और व्याकरण के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन किया गया है। पाठ में यास्क के योगदान, निरुक्त के महत्व, और भारतीय साहित्य में उनके स्थान का विवरण प्रस्तुत किया गया है। पाठ की शुरुआत में मङ्गलाचरण है, जिसमें विद्या और ज्ञान की देवी से प्रार्थना की गई है। इसके बाद, निरुक्त की परिभाषा और उसके उद्देश्य पर चर्चा की गई है। निरुक्त का मुख्य कार्य शब्दों के अर्थ को स्पष्ट करना है, जिससे भाषा और साहित्य का अध्ययन सरल हो सके। पाठ में विभिन्न अध्यायों का उल्लेख किया गया है, जैसे कि भारतीय वाद्य और वैदिक साहित्य, निरुक्त के विभिन्न प्रकार, और व्याकरण के सिद्धांत। इसमें यह भी बताया गया है कि निरुक्त कैसे विभिन्न शब्दों और उनके अर्थों को समझने में मदद करता है। इसके अलावा, पाठ में यास्क के विचारों की व्याख्या की गई है और यह बताया गया है कि वे किस प्रकार से भाषा के विज्ञान में योगदान देते हैं। अंत में, पाठ का उद्देश्य स्पष्ट है कि यह अध्ययन भारतीय साहित्य और भाषा के ज्ञान को बढ़ाने के लिए है, और इसे हिंदी में प्रस्तुत करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। इस प्रकार, यह पाठ निरुक्त और यास्क के कार्यों का सारांश प्रदान करता है, जो भाषा, व्याकरण और साहित्य के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण हैं।
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