दो शब्द :

"पञ्चवटी" मैथिलीशरण गुप्त की एक महत्वपूर्ण कृति है, जिसका मराठी अनुवाद श्रीकृष्ण खडपेकर द्वारा किया गया है। यह पुस्तक भारतीय साहित्य की समृद्ध परंपरा और सांस्कृतिक विविधता को दर्शाती है। गुप्त जी का काव्य राष्ट्रीयता और भारतीय संस्कृति का प्रतीक है, जिससे उन्हें 'राष्ट्रकवि' का सम्मान प्राप्त हुआ। इस कृति में राम, सीता और लक्ष्मण के वनवास के संदर्भ में गहन भावनाएँ और विचार प्रस्तुत किए गए हैं। राम की त्याग भावना, सीता का प्रेम और लक्ष्मण की निष्ठा को दर्शाते हुए, गुप्त जी ने भारतीय संस्कृति के मूल तत्वों को उजागर किया है। पुस्तक के अनुवाद का उद्देश्य हिंदी और मराठी भाषाओं के बीच एक सेतु स्थापित करना है, जिससे दोनों भाषाओं के साहित्य की समृद्धि बढ़े और राष्ट्रीय एकता को प्रोत्साहन मिले। खडपेकर ने इस अनुवाद में अपनी काव्यात्मक क्षमता का परिचय दिया है, और यह प्रयास भारतीय साहित्य की बहुलता को समृद्ध करने की दिशा में महत्वपूर्ण है। इस प्रकार, "पञ्चवटी" केवल एक काव्य नहीं बल्कि एक सांस्कृतिक धरोहर है, जो भारतीय जीवन के विविध रंगों को प्रकट करती है और पाठकों को गहरी सोचने की प्रेरणा देती है।


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