रामचरितमानस का टीका- साहित्य | Ramcharit Manas ka Tika - Sahitya

By: त्रिभुवन नाथ चौवे - Tribhuwan Nath Chaubey
रामचरितमानस का टीका- साहित्य | Ramcharit Manas ka Tika - Sahitya  by


दो शब्द :

इस पाठ में "रामचरितमानस" के टीका-साहित्य का गहन विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है। डॉ. त्रिमुवन नाथ चौबे द्वारा किया गया यह शोध कार्य न केवल टीका साहित्य के विभिन्न पहलुओं को उजागर करता है, बल्कि यह इस विषय पर पहले किए गए अध्ययनों से आगे बढ़कर नई जानकारियाँ भी प्रदान करता है। लेखक ने अपने अनुसंधान में विभिन्न प्रकार की टीकाओं, उनके अर्थ, विशेषताओं और उनके ऐतिहासिक संदर्भों का विस्तृत विवेचन किया है। पुस्तक में टीका साहित्य को तीन कालों में विभाजित किया गया है: प्रारंभिक काल, मध्यकाल और आधुनिक काल। प्रत्येक काल के अंतर्गत टीकाओं का परिचय, उनके लेखकों और उनके विशिष्टताओं का विवरण दिया गया है। इसके अलावा, विभिन्न भाषाओं में "रामचरितमानस" के अनुवाद का भी उल्लेख किया गया है, जो इसकी व्यापकता और लोकप्रियता को दर्शाता है। इस शोध ग्रंथ की विशेषताएँ हैं: यह पहली बार "रामचरितमानस" की टीकाओं का एक संपूर्ण और प्रमाणिक परिचय प्रस्तुत करता है, जिसमें कई हस्तलिखित टीकाओं की खोज की गई है। टीका, वात्तिक, भाष्य, टिप्पणी आदि विधाओं का विवेचन करते हुए लेखक ने यह स्पष्ट किया है कि ये सभी विधाएँ साहित्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। पुस्तक में न केवल टीका साहित्य का शास्त्रीय विवेचन किया गया है, बल्कि यह भी बताया गया है कि कैसे विभिन्न टीकाओं ने "रामचरितमानस" की व्याख्या और उसके प्रति भक्ति भाव को प्रभावित किया है। कुल मिलाकर, यह कार्य "रामचरितमानस" के प्रति साहित्यिक और धार्मिक दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण योगदान है, जो इसे हिंदी साहित्य के प्रेमियों और शोधकर्ताओं के लिए एक मूल्यवान संदर्भ बनाता है।


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