हिंदू राष्ट्र | Hindu Rashtra
- श्रेणी: धार्मिक / Religious हिंदू - Hinduism
- लेखक: बलराज मधोक - Balraj Madhok
- पृष्ठ : 72
- साइज: 4 MB
- वर्ष: 1958
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दो शब्द :
इस पाठ में राष्ट्रीयता के महत्व और उसकी भारतीय संदर्भ में स्थिति का विश्लेषण किया गया है। लेखक का कहना है कि वर्तमान युग में राष्ट्रीयता की भावना सभी देशों में बढ़ रही है, परंतु भारत में इस विषय पर मतभेद हैं। कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दल भारतीय राष्ट्रीयता को एक विकृत रूप देने का प्रयास कर रहे हैं, जिससे देश की एकता को खतरा हो सकता है। 1947 में हुए विभाजन का मुख्य कारण भारतीय राष्ट्रीयता का गलत निरूपण था। लोकतंत्र की चुनौतियों के बीच राष्ट्रीयता की भावना को सुदृढ़ करने की आवश्यकता है। लेखक यह भी बताते हैं कि राष्ट्रीयता की भावना व्यक्ति को अपने देश के प्रति बलिदान करने की प्रेरणा देती है। उन्होंने रूस के साम्यवाद का उदाहरण दिया, जहां राष्ट्रीयता की भावना को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता पड़ी। इसके विपरीत, भारत में प्रचारित राष्ट्रीयता विफल रही है और यह देश के विभाजन का कारण बनी है। इस पाठ में यह विचार प्रस्तुत किया गया है कि यदि भारत को एकजुट और मजबूत बनाना है, तो राष्ट्रीयता की सही धारणा को विकसित करना होगा, जो देश की भौगोलिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक एकता को सुरक्षित रख सके। लेखक ने इस विषय पर विचार करने की आवश्यकता पर जोर दिया है ताकि भारतीय राष्ट्रीयता को एक वैज्ञानिक और सुदृढ़ आधार मिल सके।
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