हस्तलिखित हिंदी ग्रंथों का पंद्रहवां त्रैवार्षिक विवरण | Hast Likhit Hindi Grantho ka 15th Traivarshik Vivran

By: पीतांबरदत्त बड़थ्वाल - Pitambardutt Barthwal
हस्तलिखित हिंदी ग्रंथों का पंद्रहवां त्रैवार्षिक विवरण | Hast Likhit Hindi Grantho ka 15th Traivarshik Vivran by


दो शब्द :

यह पाठ पंद्रहवें त्रैवार्षिक विवरण का सारांश है, जिसमें प्राचीन हस्तलिखित हिंदी ग्रंथों की खोज के माध्यम से विभिन्न रचनाकारों के ग्रंथों का विवरण दिया गया है। यह विवरण 1932 से 1934 के बीच के समय की खोज का परिणाम है। इस अवधि में मैनपुरी, एटा, आगरा, हरदोई, अलीगढ़ और मधुरा के जिलों में शोध कार्य किया गया। इस खोज में कुल 19507 हस्तलिखित ग्रंथों का विवरण प्राप्त हुआ, जिसमें 476 रचनाकारों द्वारा रचित 1016 ग्रंथ शामिल हैं। पाठ में नए और अज्ञात रचनाकारों के ग्रंथों का भी उल्लेख है, जिनमें जनराज वैश्य, जनखुस्याल, मानिक कवि और सेवादास शामिल हैं। जनराज वैश्य की कृतियों में 'कवितारस विनोद' का रचनाकाल 1776 ई. है। जनखुस्याल ने 'विपिन-विनोद' का अनुवाद किया, जबकि मानिक कवि ने 'वैताल पचीसी' का रचना की। सेवादास के चार नए ग्रंथ भी इस विवरण में शामिल हैं। इस शोध कार्य को उत्तर प्रदेश सरकार की सहायता से संपन्न किया गया, और इस प्रक्रिया में कई शोधकर्ताओं का योगदान रहा। पाठ में विभिन्न ग्रंथों के विषय, रचनाकारों के परिचय और ग्रंथों के संकलन की प्रक्रिया का भी उल्लेख किया गया है। यह विवरण हिंदी साहित्य के प्राचीन ग्रंथों के संरक्षण और अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान देता है।


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