पथ के साथी | Path ke Sathi

- श्रेणी: उपन्यास / Upnyas-Novel साहित्य / Literature
- लेखक: महादेवी वर्मा - Mahadevi Verma
- पृष्ठ : 129
- साइज: 12 MB
- वर्ष: 1957
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दो शब्द :
महादेवी वर्मा के "पथ के साथी" में उनकी साहित्यिक दृष्टि और जीवन के संघर्षों का वर्णन किया गया है। लेख में यह बताया गया है कि साहित्यकार की मूल्यांकन की कसौटी उसका युग होता है, लेकिन यह युग अकेला नहीं होता, बल्कि उसमें देश और काल के प्रभाव भी शामिल होते हैं। लेख में यह भी उल्लेख है कि साहित्यकार का जीवन अपने परिवेश और रिश्तों से जुड़ा होता है, और यह संघर्षों से भरा होता है। महादेवी वर्मा ने अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना किया, विशेषकर अपने पति की राजनीतिक गतिविधियों के कारण। उन्होंने अपने घर और जेल के जीवन को संतुलित किया और बच्चों की देखभाल करते हुए अपने साहित्यिक कार्यों को भी जारी रखा। सुभद्राजी के जीवन में जो संघर्ष था, वह उनकी मातृत्व की गहराई और साहस को दर्शाता है। उन्होंने अपने घर को एक छोटा साम्राज्य बना दिया था, जिसमें उन्होंने अपनी ममता और मेहनत से सभी चीजों को व्यवस्थित रखा। महादेवी ने यह भी बताया है कि नारी की वीरता और मातृत्व का महत्व पुरुष के अहंकार और रागद्वेष से कहीं अधिक होता है। वे समाज के बंधनों के खिलाफ खड़ी हुईं और अपने विचारों को व्यक्त करने में कभी नहीं हिचकिचाईं। उनके लेखन में स्त्री की स्वतंत्रता और उसके अधिकारों की वकालत की गई है, जिससे उन्होंने समाज में बदलाव की आवश्यकता को रेखांकित किया। इस प्रकार, महादेवी वर्मा का यह लेख न केवल उनके जीवन के अनुभवों को दर्शाता है, बल्कि यह नारी की शक्ति और संघर्ष को भी उजागर करता है। उनकी रचनाएँ न केवल साहित्यिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि वे सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर भी गहरी सोच प्रस्तुत करती हैं।
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