सप्त किरण | Saptkiran

By: रामकुमार वर्मा - Ramkumar Varma
सप्त किरण | Saptkiran by


दो शब्द :

इस पाठ में "सप्तकिरण" नामक नाटकों का संग्रह प्रस्तुत किया गया है, जिसे डॉ. राम कुमार वर्मा ने लिखा है। नाटकों में मानव जीवन की गहराइयों और संवेदनाओं को विभिन्न दृष्टिकोणों से उजागर करने की कोशिश की गई है। नाटक की एक प्रमुख कड़ी "राजरानी सीता" है, जिसमें सीता की स्थिति, उसके विचार और रावण के प्रति उसकी निष्ठा को दर्शाया गया है। राजरानी सीता, जो महाराज राम की पत्नी हैं, अशोक वृक्ष के नीचे बैठी हुई हैं और रावण द्वारा आयोजित उत्सव के बारे में सोच रही हैं। रावण ने भगवान शंकर की पूजा की है और सीता का नाम लेकर उसकी दासियों से उसका स्वागत करने के लिए कहा गया है। सीता अपने पति राम के प्रति अपनी निष्ठा और प्रेम को दर्शाते हुए रावण की प्रशंसा नहीं कर पाती हैं। दासियाँ रावण की भक्ति और शक्ति की बातें करती हैं, लेकिन सीता केवल राम का स्मरण करती हैं। सीता की स्थिति इस बात को दर्शाती है कि वह अपने पति के प्रति कितनी वफादार हैं, जबकि रावण उसकी सुंदरता और उसकी निष्ठा की सराहना करता है। रावण सीता को अपने वश में करने का प्रयास करता है, लेकिन सीता हमेशा राम के प्रति अपने प्रेम को प्राथमिकता देती हैं। इस संवाद में नाटक की गहराई और पात्रों के मनोविज्ञान को स्पष्ट रूप से दर्शाया गया है, जो मानव भावनाओं और रिश्तों के संघर्ष को उजागर करता है। इस प्रकार, "सप्तकिरण" पाठ में नाटक के माध्यम से मानवीय संवेदनाओं के विभिन्न पहलुओं को उजागर किया गया है, जहाँ निष्ठा, प्रेम और संघर्ष का चित्रण किया गया है।


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