जच्चा | Jachcha

- श्रेणी: Ayurveda | आयुर्वेद
- लेखक: कविराज श्री प्रताप सिंह - Kaviraj Sri Pratap Singh
- पृष्ठ : 299
- साइज: 9 MB
- वर्ष: 1982
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दो शब्द :
इस पाठ में मासिक धर्म, उसके प्रभाव और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता पर चर्चा की गई है। लेखक ने बताया है कि हमारे देश में लड़कियों को मासिक धर्म और उससे जुड़े शारीरिक परिवर्तनों के बारे में ठीक से जानकारी नहीं दी जाती। इस कारण वे इस प्राकृतिक प्रक्रिया के दौरान असहज महसूस करती हैं और कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करती हैं। लेखक ने यह भी उल्लेख किया है कि यदि लड़कियों को उनके माता-पिता या शिक्षिकाओं द्वारा इस विषय में सही जानकारी दी जाए, तो वे अपने स्वास्थ्य का बेहतर ध्यान रख सकती हैं और भविष्य में विभिन्न रोगों से बच सकती हैं। उन्होंने यह सुझाव दिया कि माता-पिता को अपनी बेटियों को मासिक धर्म से पहले और उसके दौरान उचित मार्गदर्शन देना चाहिए, ताकि वे इस प्रक्रिया को समझ सकें और इसे प्राकृतिक रूप से स्वीकार कर सकें। पाठ में यह भी कहा गया है कि मासिक धर्म एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, लेकिन इसके दौरान नियमित जीवन जीना आवश्यक है। अगर कोई लड़की इस समय में अनियमितता बरतती है, तो उसे विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। लेखक ने यह भी बताया है कि मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता का ध्यान रखने से कई समस्याओं से बचा जा सकता है। इस प्रकार, पाठ का मुख्य उद्देश्य महिलाओं और विशेष रूप से लड़कियों को मासिक धर्म के बारे में सही जानकारी देना और इसे एक सामान्य और स्वाभाविक प्रक्रिया के रूप में स्वीकार करने के लिए प्रेरित करना है।
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