भारतीयज्योतिष यन्त्रालय वेधपथ प्रदर्शक | Bharatiya Jyotish Yantralaya vedpath pradarshak

By: गोकुल चंद्र - pt gokul chandra
भारतीयज्योतिष यन्त्रालय वेधपथ प्रदर्शक | Bharatiya Jyotish  Yantralaya vedpath pradarshak by


दो शब्द :

इस पाठ में श्री 108 महाराजाधिराज श्री सवाई जयसिंह के कार्यों और योगदान का वर्णन किया गया है। जयपुर नगर की स्थापना और वहां वेधशालाओं का निर्माण उनके द्वारा किया गया था। उन्होंने अद्वितीय ज्योतिष विद्या के संरक्षण के लिए विद्वानों को आमंत्रित किया और उन्हें सम्मान प्रदान किया। उन्होंने विभिन्न स्थानों पर ज्योतिष से संबंधित यंत्रों का निर्माण कराया और उन्हें स्थापित किया। पाठ में यह भी उल्लेख किया गया है कि समय के साथ इन यंत्रों का जीर्णोद्धार आवश्यक हो गया। जयपुर, काशी और उज्जयिनी में वेधशालाओं का पुनर्निर्माण किया गया, जो आज भी भारत की प्रमुख दर्शनीय स्थलों में गिनी जाती हैं। हालांकि, ज्योतिष यंत्रों के विषय में लोगों की जानकारी बहुत कम है, और इसके लिए हिंदी में कोई पुस्तक उपलब्ध नहीं है। इसी कारण लेखक ने हिंदी में एक पुस्तक लिखने का निर्णय लिया है, जिसमें यंत्रों का वर्णन और उनके उपयोग की विधि बताई जाएगी। पाठ के अंत में, लेखक ने जयपुर की यन्त्रशाला में प्रमुख यंत्रों का विवरण दिया है, जैसे सम्राट यंत्र, जो समय जानने में सहायक है। इस यंत्र की विशेषताएँ और इसके उपयोग की विधि विस्तार से समझाई गई है। लेखक ने आशा व्यक्त की है कि पाठक इस पुस्तक के माध्यम से ज्योतिष और यंत्रों के महत्व को समझ सकेंगे।


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