कबीर ग्रंथावली | Kabir Granthavali

By: श्यामसुंदर दास - Shyam Sundar Das
कबीर ग्रंथावली | Kabir Granthavali by


दो शब्द :

इस पाठ में कबीरदास की रचनाओं और उनके साहित्य की गहराई का वर्णन किया गया है। लेखक ने कबीर के काव्य को समझने का प्रयास किया है, जिसके लिए उन्होंने डॉ. ध्यामसुन्दरदास द्वारा संपादित "कबीर ग्रंथावली" को आधार बनाया है। कबीरदास के काव्य का अध्ययन करने के लिए अनेक ग्रंथों और टिप्पणियों का उल्लेख किया गया है, लेकिन अधिकांश में केवल भावार्थ दिया गया है, जिससे पाठकों को कबीर के गहरे अर्थ को समझने में कठिनाई होती है। लेखक का मानना है कि कबीर का काव्य केवल शब्दों का खेल नहीं है, बल्कि उसमें गहरी आध्यात्मिक अनुभूति और जीवन का व्यापक अनुभव छिपा है। कबीर के काव्य को समझने के लिए पाठक को केवल बुद्धि का प्रयोग नहीं करना चाहिए, बल्कि उसे दिल से भी अनुभव करना चाहिए। लेखक ने अपनी पुस्तक में हर शब्द और छंद का अर्थ स्पष्ट किया है, ताकि पाठकों को किसी प्रकार की उलझन न हो। कबीर एक ज्ञानशील भक्त थे, और उनके लेखन में समाज के प्रति उनकी चिंताओं और विचारों का समावेश है। लेखक ने कबीर की काव्य रचनाओं का विश्लेषण करते हुए यह प्रयास किया है कि पाठक उनके काव्य के वास्तविक अर्थ को समझ सकें। कबीर का साहित्य न केवल उनकी अद्भुत काव्य शक्ति को दर्शाता है, बल्कि वे समाज सुधारक और उच्चकोटि के आत्मदर्शी भी थे। उन्होंने अपने समय की जटिलताओं और समस्याओं को अपने काव्य में उजागर किया। पाठ में यह बात भी कही गई है कि कबीर की वाणी का प्रभाव आज भी महसूस किया जा सकता है और उनका साहित्य मानवता के लिए एक प्रेरणा स्रोत है। लेखक ने कबीर के काव्य के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की है और आशा जताई है कि पाठक उनके विचारों और अनुभवों से संतुष्ट होंगे।


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