लोक साहित्य विज्ञान | Lok Sahitya Vigyan

- श्रेणी: इतिहास / History विज्ञान / Science साहित्य / Literature
- लेखक: सत्येन्द्र - Satyendra
- पृष्ठ : 544
- साइज: 17 MB
- वर्ष: 1961
-
-
Share Now:
दो शब्द :
यह पाठ 'लोक साहित्य विज्ञान' की भूमिका और इसकी आवश्यकता पर केंद्रित है। लेखक, डॉ. सत्येंद्र, ने बताया है कि यह पुस्तक लोक-साहित्य के अध्ययन के लिए एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसे पाठकों और विश्वविद्यालयों ने सराहा है। पुस्तक का पहला संस्करण सफल रहा, जिससे इसका दूसरा संस्करण प्रकाशित किया जा रहा है। इसमें कुछ आवश्यक परिशिष्टों को हटाया गया है और कुछ नए पृष्ठ जोड़े गए हैं, ताकि पाठक को अद्यतन जानकारी मिल सके। लेखक ने लोक-साहित्य के अध्ययन की शुरुआत अपने करियर में की थी और यह महसूस किया कि इस विषय पर एक व्यापक और सहायक पुस्तक की आवश्यकता है। उन्होंने लोक-साहित्य को विज्ञान के रूप में मान्यता दी और इसके अध्ययन के लिए एक ठोस आधार तैयार करने का प्रयास किया। लेखक ने कई महत्वपूर्ण पश्चिमी ग्रंथों का उल्लेख किया है, जो लोक-कथाओं और लोक-साहित्य के वैज्ञानिक अध्ययन में सहायक रहे हैं। पुस्तक में 'लोक मानस' का सिद्धांत, क्षेत्रीय अनुसंधान, और लोक-साहित्य के विभिन्न रूपों का विवेचन किया गया है। लेखक ने बताया कि भारतीय लोक-साहित्य का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्त्व है, लेकिन भारत में लोक-साहित्य विज्ञान को वह मान्यता नहीं मिली है जो अन्य देशों में है। लेखक का मानना है कि भारतीय विद्वानों को लोक-साहित्य का अध्ययन केंद्रित रूप से करना चाहिए और इसके लिए विश्वविद्यालयों में विशेष व्यवस्था की जानी चाहिए। पुस्तक में पाठकों को लोक-साहित्य के अध्ययन में मार्गदर्शन देने के लिए विभिन्न दृष्टिकोण प्रस्तुत किए गए हैं, ताकि इसे एक वैज्ञानिक दृष्टि से समझा जा सके। लेखक ने लोक-साहित्य के महत्व और इसकी अध्ययन की विधियों पर प्रकाश डाला है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि लोक-साहित्य का अध्ययन न केवल ज्ञानवर्धक है, बल्कि यह मानवता के सांस्कृतिक धरोहर को भी संरक्षित करता है।
Please share your views, complaints, requests, or suggestions in the comment box below.