सुर पंच तंत्र | Sur panch Tantra

- श्रेणी: काव्य / Poetry जीवनी / Biography
- लेखक: लाला भगवानदीन - lala bhagawandin श्री सूरदास जी - Shri Surdas Ji
- पृष्ठ : 368
- साइज: 11 MB
- वर्ष: 1934
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दो शब्द :
इस पाठ में सूरदास और लाला भगवानदीन का परिचय दिया गया है। सूरदास का जन्म लगभग संवत 1540 में हुआ था। वे जन्म से अंधे थे, लेकिन उनकी कविताएँ बहुत प्रसिद्ध हुईं। उन्होंने गऊघाट में भजन गाकर जीवन व्यतीत किया और धीरे-धीरे वे ब्रज के प्रसिद्ध कवियों में शामिल हो गए। सूरदास ने भक्ति काव्य में विशेष योगदान दिया, और उनके ग्रंथ 'सूरसागर' को बहुत मान्यता प्राप्त है। लाला भगवानदीन का जन्म भी कठिन परिस्थितियों में हुआ था। उनकी माता ने भगवान सूर्य की पूजा करके संतान की प्राप्ति के लिए कठोर तप किया। भगवानदीन ने शिक्षा प्राप्त करने के बाद अध्यापक के रूप में कार्य किया और वे एक प्रसिद्ध कवि बने। उनकी कविताओं में भक्ति का गहरा भाव था। इन दोनों कवियों की भक्ति, साहित्यिक योगदान और जीवन की कठिनाइयों से उबरने की कहानियाँ प्रेरणादायक हैं। पाठ का मुख्य उद्देश्य इन महान कवियों की जीवन गाथा और उनके साहित्यिक कार्यों को प्रस्तुत करना है, ताकि पाठकों को उनकी महानता का ज्ञान हो सके।
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