मानसरोवर (भाग - ४) | Mansarover (Bhag-4)

- श्रेणी: उपन्यास / Upnyas-Novel कहानियाँ / Stories
- लेखक: प्रेमचंद - Premchand
- पृष्ठ : 315
- साइज: 12 MB
- वर्ष: 1945
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दो शब्द :
इस पाठ में एक शिक्षक की कहानी है, जो अपने कक्षा के सबसे उद्दंड छात्र, सूर्यप्रकाश, के साथ अपने अनुभवों को साझा करता है। सूर्यप्रकाश एक शरारती लड़का है जो अध्यापकों को परेशान करने और अन्य लड़कों की नाक में दम करने में माहिर है। लेखक उस लड़के की शरारतों से परेशान होता है, लेकिन उसे सुधारने का प्रयास करता है। जब स्कूल में एक निरीक्षण होने वाला होता है, तो सूर्यप्रकाश और अन्य छात्रों ने स्कूल आने में देर की, जिससे प्रिंसिपल की बेइज्जती होती है। लेखक इस स्थिति से बहुत परेशान होता है और सोचता है कि कैसे वह सूर्यप्रकाश को सुधार सके। एक परीक्षा के दौरान, लेखक को यह जानकर आश्चर्य होता है कि सूर्यप्रकाश ने अच्छे अंक प्राप्त किए हैं, जबकि उसे लगता था कि वह पढ़ाई में कमजोर है। इस घटना से लेखक को एक बड़ी निराशा होती है, क्योंकि वह मानता है कि एक उद्दंड बच्चे का सुधार नहीं हो सकता। इसके बाद, लेखक का तबादला हो जाता है और वह नए स्थान पर चला जाता है। विदाई के समय, सभी छात्र दुखी होते हैं, विशेषकर सूर्यप्रकाश, जो पीछे रह जाता है। लेखक को लगता है कि उन्होंने सूर्यप्रकाश से बात नहीं की, जिसका उसे पछतावा होता है। लेखक अपनी नई नौकरी में भी समस्याओं का सामना करता है। उसे अपने विचारों के कारण विरोध का सामना करना पड़ता है और उसे अपनी नीतियों के लिए आलोचना का सामना करना पड़ता है। अंत में, उसे इस्तीफा देना पड़ता है और इस कठिन समय में उसकी पत्नी का निधन हो जाता है। इस प्रकार, पाठ में शिक्षक की कठिनाइयों, छात्रों के साथ संबंधों, और जीवन की कठिनाइयों का चित्रण किया गया है, जो शिक्षा और सामाजिक परिवर्तनों को दर्शाता है।
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