नागरिक शास्त्र | Nagarik Shastra

- श्रेणी: दार्शनिक, तत्त्वज्ञान और नीति | Philosophy शिक्षा / Education
- लेखक: कन्हैयालाल - Verma
- पृष्ठ : 252
- साइज: 11 MB
- वर्ष: 1940
-
-
Share Now:
दो शब्द :
यह पाठ भारतीय राजनीति और शासन-पद्धति पर केंद्रित है, जिसमें नागरिक शास्त्र के सिद्धांत, भारतीय शासन की विशेषताएँ, और शासन सुधारों का इतिहास शामिल है। इसमें नागरिक शास्त्र के विभिन्न पहलुओं का परिचय दिया गया है, जैसे नागरिक और समाज, नागरिक के अधिकार और कर्तव्य, और देशप्रेम। पाठ में 1919 के शासन सुधारों का उल्लेख है, जिसमें प्रांतीय व्यवस्थापक सभाओं का गठन, उनके अधिकार और चुनाव प्रक्रिया का विवरण दिया गया है। यह बताया गया है कि प्रांतीय सरकार को किस प्रकार की जिम्मेदारियाँ दी गई थीं और गवर्नर के अधिकार क्या थे। इसके अलावा, नया शासन-विधान 1935 की विशेषताओं पर चर्चा की गई है, जैसे संघ शासन-विधान, प्रांतीय स्वराज्य, और संरक्षणों सहित उत्तरदायी शासन। यह बताया गया है कि भारतीय शासन का नया ढांचा कैसे विकसित हुआ और इसमें विभिन्न प्रकार के अधिकारों का वितरण कैसे किया गया। पाठ में विभिन्न सुधारों के अंतर्गत प्रशासन की संरचना, चुनाव प्रक्रिया, और राजनीतिक प्रतिनिधित्व पर भी प्रकाश डाला गया है। अंत में, पाठ में भारतीय शासन के विकास और सुधारों के संदर्भ में महत्वपूर्ण बिंदुओं का सारांश प्रस्तुत किया गया है।
Please share your views, complaints, requests, or suggestions in the comment box below.