पृथ्वी- परिक्रमा | Prithavi- Parikrama

By: गोविंददास - Govinddas
पृथ्वी- परिक्रमा | Prithavi- Parikrama by


दो शब्द :

इस पाठ में लेखक गोविन्ददास की यात्रा का वर्णन किया गया है, जिसमें उन्होंने विभिन्न देशों का दौरा किया है। उनकी पुस्तक में न केवल उन देशों की यात्रा का विवरण है, बल्कि वहां के राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक जीवन पर भी उनके विचार हैं। लेखक ने प्राचीन इतिहास की पृष्ठभूमि को स्पष्ट करते हुए वर्तमान परिस्थितियों का विश्लेषण किया है, जिससे पाठक को वर्तमान स्थिति को समझने में मदद मिलती है। गोविन्ददास की यह यात्रा 1652 में हुई, जिसमें वे भारतीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य के रूप में कैनेडा गए थे। उन्होंने वहां कामनवेल्थ पार्लियामेंटरी कॉन्फरेंस में भाग लिया और यात्रा के दौरान उन्होंने लगभग पूरे कैनेडा का निरीक्षण किया। अपने अनुभवों के आधार पर, वे अपनी यात्रा का विवरण लिखते रहे। पुस्तक केवल दर्शनीय स्थलों का वर्णन नहीं करती, बल्कि प्रत्येक देश की संस्कृति, धर्म, कला और इतिहास का गहरा अध्ययन प्रस्तुत करती है। लेखक ने विभिन्न जातियों और उनके संबंधों का भी उल्लेख किया है। वे इस्लाम, सुकरात के दर्शन, यहूदी इतिहास और मिश्र की संस्कृति जैसे विषयों पर भी चर्चा करते हैं। लेखक ने विभिन्न देशों के दाह-संस्कारों और राजनीतिक समस्याओं का भी विश्लेषण किया है। उनकी दृष्टि व्यापक है, और वे पाठकों को विभिन्न देशों की समस्याओं और सांस्कृतिक विविधताओं से अवगत कराते हैं। गोविन्ददास की पुस्तक सरल और आकर्षक शैली में लिखी गई है, जो पाठकों को पढ़ने के लिए प्रेरित करती है। यह पुस्तक न केवल यात्रा विवरण है, बल्कि विश्व के विभिन्न देशों की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक जानकारी का समृद्ध स्रोत है, जो सभी पाठकों के लिए उपयोगी है।


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