सिंहावलोकन दूसरा भाग | Sinhavalokan Bhag - 2
- श्रेणी: साहित्य / Literature
- लेखक: यशपाल - Yashpal
- पृष्ठ : 276
- साइज: 40 MB
- वर्ष: 1952
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दो शब्द :
इस पाठ में लेखक ने भारत में सशस्त्र क्रांति की कोशिशों के अपने अनुभवों को साझा किया है। यह संस्मरण उनके साथी क्रांतिकारियों के प्रति श्रद्धांजलि है, जिन्होंने अपने देश की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया। लेखक ने विभिन्न घटनाओं का वर्णन किया है, जैसे कि जेल में सुखदेव से मुलाकात, सहारनपुर बम फैक्ट्री का अनुभव, कलकत्ता में की गई विफलताएं, और बम बनाने की प्रक्रिया। उन्होंने उन कठिनाइयों और असफलताओं का भी उल्लेख किया जो क्रांतिकारी गतिविधियों के दौरान सामने आईं। लेखक ने यह स्पष्ट किया है कि वे अपनी स्मृतियों को साझा कर रहे हैं, न कि इतिहास को लिखने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने अपने और अन्य क्रांतिकारियों की गलतियों का आत्म-विश्लेषण किया है और यह बताया है कि कैसे उन घटनाओं की प्रतिक्रिया ने भविष्य में उनकी सोच और दृष्टिकोण को प्रभावित किया। उनकी कहानी में व्यक्तिगत अनुभव और ऐतिहासिक घटनाओं का मिश्रण है, जिसमें उन्होंने अपने साथियों के प्रति आदर व्यक्त किया है, साथ ही उन चुनौतियों का सामना करने की प्रेरणा दी है जो उन्होंने अपने संघर्ष के दौरान देखी। लेखक का उद्देश्य उन अनुभवों को साझा करना है ताकि आने वाली पीढ़ियाँ उनसे सीख सकें और अपने संघर्ष में आगे बढ़ सकें।
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