श्री भारतवर्षीय दिगंबर जैन डायरेक्टरी | Shri Bharatvarshiya Digamber Jain Directory

By: विभिन्न लेखक - Various Authors
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दो शब्द :

इस पाठ में "डिरेक्टरी" के महत्व और इसके निर्माण की प्रक्रिया के बारे में चर्चा की गई है। डिरेक्टरी एक ऐसा दस्तावेज है जिसमें विभिन्न व्यापारियों और उनके संपर्क विवरण शामिल होते हैं। यह व्यापारियों के लिए बेहद उपयोगी है, क्योंकि इससे वे एक-दूसरे से संपर्क कर सकते हैं और व्यापारियों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। भारत में पहली डिरेक्टरी 1863 में बनाई गई थी, जिसका नाम "थैकर्स इंडियन डिरेक्टरी" था। इस डिरेक्टरी ने न केवल अंग्रेज व्यापारियों को बल्कि सभी प्रकार के व्यापारियों को लाभ पहुंचाया। इसे बढ़ाने के लिए कई प्रयास किए गए हैं और आज यह बहुत विस्तृत हो गई है। पाठ में यह भी उल्लेख किया गया है कि डिरेक्टरी का निर्माण समाज के सदस्यों के बीच सहयोग और संपर्क को बढ़ावा देने के लिए किया गया है। इससे जैन समुदाय के लोग एक-दूसरे के सुख-दुख में सहयोग कर सकेंगे और समाज में एकता बढ़ेगी। डिरेक्टरी में व्यापारियों के नाम, उनके निवास स्थान और उनकी व्यापारिक गतिविधियों का विवरण होगा, जिससे लोगों को एक-दूसरे के बारे में जानकारी मिल सकेगी। इसके अलावा, डिरेक्टरी में तीर्थ स्थलों और जैन समुदाय के प्रमुख व्यक्तियों के बारे में भी जानकारी दी गई है, जिससे सदस्यों को अपने धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत के बारे में भी जानने का अवसर मिलेगा। पाठ का निष्कर्ष यह है कि डिरेक्टरी जैन समुदाय के विकास और एकता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।


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