उपनिषदों की कहानियां | Upanishad ki Kahaniyan

- श्रेणी: उपनिषद/ upnishad कहानियाँ / Stories
- लेखक: श्री रामप्रताप त्रिपाठी - Shree Rampratap Tripathi
- पृष्ठ : 186
- साइज: 7 MB
- वर्ष: 1948
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दो शब्द :
इस पाठ में उपनिषदों की महत्ता और उनके ज्ञान को समझाने का प्रयास किया गया है। लेखक ने यह बताया है कि उपनिषदों में न केवल गहन दार्शनिकता है, बल्कि इनमें जीवन के लिए आवश्यक नैतिक शिक्षाएं भी निहित हैं। ये कहानियाँ बच्चों और युवाओं के लिए विशेष रूप से उपयुक्त हैं, क्योंकि ये उन्हें अपने चरित्र और विचारों को संस्कृत करने में मदद कर सकती हैं। लेखक ने यह भी उल्लेख किया है कि आजकल की साहित्यिक प्रवृत्तियाँ, जिनमें अनेक अव्यवस्थित और अशुद्ध कहानियाँ शामिल हैं, समाज में नैतिक पतन का कारण बन रही हैं। ऐसे में उपनिषदों की शिक्षाएँ और उनके अमर पात्रों की कहानियाँ प्रस्तुत करना एक आवश्यक प्रयास है। लेखक ने यह उम्मीद जताई है कि ये कहानियाँ पाठकों को उपनिषदों के गूढ़ तत्वों से अवगत कराएंगी और उनकी जीवनदृष्टि को सकारात्मक दिशा में मोड़ेंगी। कहानी के माध्यम से महात्मा पिप्पलाद और उनके शिष्यों की तपस्या का वर्णन किया गया है। पिप्पलाद ने युवाओं को ब्रह्म-विद्या के ज्ञान की प्राप्ति के लिए कठोर साधना करने की सलाह दी। उनका उद्देश्य था कि विद्यार्थी पहले अपनी इन्द्रियों और मन को वश में करें, ताकि वे ज्ञान की उच्चतम अवस्था को प्राप्त कर सकें। यह दिखाता है कि ज्ञान की प्राप्ति के लिए साधना और अनुशासन की आवश्यकता होती है। इस प्रकार, पाठ में उपनिषदों की गहराई, उनकी शिक्षाएँ और व्यक्तित्व विकास के लिए उनकी प्रासंगिकता को उजागर किया गया है। लेखक का मानना है कि इस तरह की कहानियों के माध्यम से पाठक उपनिषदों के अमूल्य ज्ञान को समझ सकेंगे और अपने जीवन में उसे उतार सकेंगे।
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