हिंदी ऋग्वेद | Hindi Rigved

- श्रेणी: ग्रन्थ / granth वेद /ved साहित्य / Literature हिंदू - Hinduism
- लेखक: पं. रामगोविन्द त्रिवेदी - Pt. Ramgovind Trivedi
- पृष्ठ : 1623
- साइज: 208 MB
- वर्ष: 1954
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दो शब्द :
इस पाठ में वेदों के स्वरूप, उनकी नित्यत्ता, और वेदों के ज्ञान के स्रोत पर चर्चा की गई है। वेदों को ऋषियों द्वारा समाधि के माध्यम से प्राप्त किया गया ज्ञान माना गया है, जिसे शाश्वत और अपौरुषेय कहा गया है। पाठ में यह बताया गया है कि वेद शब्दों के रूप में नित्य होते हैं और इनकी प्रामाणिकता ऋषियों के अंतःकरण की शुद्धता से जुड़ी होती है। वेदों को विभिन्न दार्शनिक दृष्टिकोणों से समझाने का प्रयास किया गया है, जिसमें विभिन्न शास्त्रों और विद्वानों के विचार प्रस्तुत किए गए हैं। उदाहरण के लिए, यह कहा गया है कि वेद ज्ञान का अव्यक्त स्वरूप हैं, जो अंत में अभिव्यक्त होता है। वेदों के ज्ञान का संबंध ईश्वरीय प्रेरणा से भी जोड़ा गया है, जिसमें बताया गया है कि ऋषियों ने तप और साधना करके वेदों का ज्ञान प्राप्त किया। पाठ में यह भी उल्लेख किया गया है कि वेदों के माध्यम से भूत, वर्तमान और भविष्य के ज्ञान को प्राप्त किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, यह बताया गया है कि वेदों का ज्ञान अनादि और शाश्वत है, और यह मानव के अनुभव और तर्क से परे है। अंत में, यह निष्कर्ष निकाला गया है कि वेद न केवल धार्मिक ग्रंथ हैं, बल्कि ज्ञान का स्त्रोत भी हैं, जो मानवता के कल्याण के लिए आवश्यक है।
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