हिंदी साहित्य का इतिहास | Hindi Sahitya ka Itihas

- श्रेणी: इतिहास / History साहित्य / Literature हिंदी / Hindi
- लेखक: रामचंद्र शुक्ल - Ramchandra Shukla
- पृष्ठ : 959
- साइज: 26 MB
- वर्ष: 1967
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दो शब्द :
इस पाठ में हिंदी साहित्य के इतिहास और उसकी विभिन्न धाराओं का विवेचन किया गया है। पाठ की शुरुआत में खेतड़ी राज्य के राजा श्रीअजीतसिंहजी का परिचय दिया गया है, जो एक शिक्षित और विद्या के प्रति समर्पित व्यक्ति थे। उनके परिवार का उल्लेख करते हुए, उनकी संतानों और उनके जीवन की दुखद घटनाओं का वर्णन किया गया है। राजा की ज्येष्ठ कन्या, श्रीमती सूथ्यकुमारी, एक शिक्षित महिला थीं जिनका हिंदी साहित्य के प्रति गहरा लगाव था। उनका सपना था कि स्वामी विवेकानंद के लेखों का हिंदी में अनुवाद किया जाए और इसके लिए एक निधि स्थापित की जाए। उनके निधन के बाद, उनके पति ने उनके सपनों को पूरा करने के लिए आवश्यक कदम उठाए। इसके बाद, हिंदी साहित्य के इतिहास पर चर्चा की गई है, जिसमें विभिन्न कालखंडों और रचनाओं का वर्गीकरण किया गया है। लेखक ने यह स्पष्ट किया है कि साहित्य का अध्ययन करते समय विभिन्न रचनाओं की प्रचुरता, प्रसिद्धि और उनके विषय के अनुसार कालखंडों का निर्धारण किया गया है। आदिकाल को 'वीरगाथा-काल' कहा गया है, जिसमें वीरगाथात्मक रचनाओं का समावेश है। पाठ में यह भी बताया गया है कि कैसे हिंदी साहित्य के इतिहास को समझने के लिए काल विभाजन और विभिन्न काव्य धाराओं का अध्ययन आवश्यक है। भक्तिकाल में भक्ति धाराओं का वर्गीकरण, जैसे कि निगुण और सगुण भक्ति की शाखाएँ, किया गया है। इस प्रकार, पाठ में हिंदी साहित्य के विकास, उसकी विविधताओं और उसके ऐतिहासिक संदर्भों का समग्र चित्रण किया गया है।
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