योग- चिकित्सा नीरोग रहने के सरल उपाय | Yog-chitishak Narirog Rahneke Saral Upay

By: आचार्य चतुरसेन शास्त्री - Acharya Chatursen Shastri


दो शब्द :

इस पाठ में स्वस्थ रहने और रोगों के उपचार के सरल उपायों पर चर्चा की गई है। लेखक यह बताते हैं कि मनुष्य में अद्भुत शक्ति और सामर्थ्य है, जिसे पहचानने की आवश्यकता है। हमें अपने भीतर की शक्ति को जागरूक करने और उसे सही दिशा में उपयोग करने का प्रयास करना चाहिए। लेखक का यह भी कहना है कि हम सभी स्वाभाविक रूप से स्वस्थ और बलवान हैं, लेकिन हम अपनी असंवेदनशीलता और अज्ञानता के कारण कमजोर महसूस करते हैं। पाठ में यह विचार प्रस्तुत किया गया है कि आस-पास की प्रकृति हमें सभी आवश्यक वस्तुएं प्रदान करती है, और हमें अपनी समस्याओं का समाधान खोजने के लिए दूर नहीं जाना चाहिए। मनुष्य की आवश्यकताएं बहुत पास हैं, जैसे कि जल और वायु, जो जीवन के लिए अनिवार्य हैं। लेखक यह सुझाव देते हैं कि हम अपने मन की शक्तियों का उपयोग करें और अपने शरीर में छिपी हुई ऊर्जा को पहचानें। लेखक यह भी बताते हैं कि जब हम बीमार होते हैं, तो हमारे शरीर की स्वाभाविक बुद्धि हमें उपचार के लिए संकेत देती है, जैसे उपवास करना। हमें अपनी आंतरिक शक्ति पर विश्वास करना चाहिए और अपने मन में सकारात्मक विचारों को स्थान देना चाहिए। यह भी कहा गया है कि मानसिक स्थिति का शरीर पर गहरा प्रभाव होता है और यदि हम अपने मन को नियंत्रित कर लें तो हम अपने शरीर को भी स्वस्थ रख सकते हैं। अंत में, पाठ में यह संदेश है कि हमें अपनी शक्ति को पहचानकर उसे सक्रिय करना चाहिए, ताकि हम स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी सकें। विश्वास और इच्छाशक्ति के द्वारा हम अपनी परिस्थितियों को बदल सकते हैं।


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