भारतीय नीति शास्त्र का इतिहास | Bhartiya Niti- Shastra ka Itihas

By: एम० ए०, डी० लिट० - M.A.D.Lit डॉ-भीखन-लाल-आत्रेय - dr bhikan lal atreya


दो शब्द :

इस पाठ में भारतीय नीतिशास्त्र के इतिहास का विवेचन किया गया है। लेखक डॉ. भोखनलाल आत्रेय ने बताया है कि मनुष्य ने जब से सोचने और विचार करने की प्रक्रिया शुरू की, तब से उसने दुख से मुक्ति और सुख की प्राप्ति के साधनों पर ध्यान देना शुरू किया। इसके साथ ही, उसने अपने आचार-व्यवहार का नियमन और संयोजन किया, जिससे नीतिशास्त्र, धर्मशास्त्र और कर्तव्यशास्त्र का निर्माण हुआ। भारतीय संस्कृति में ऋषि-मुनियों, आचार्यों और महात्माओं ने धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के सिद्धांतों को समाहित करते हुए नैतिकता का आधार तैयार किया। डॉ. आत्रेय ने वैदिक काल से लेकर वर्तमान समय तक के विचारों का अध्ययन किया है और विभिन्न धार्मिक ग्रंथों में प्रदर्शित नैतिकता का संकलन किया है। उन्होंने इस पुस्तक में भारतीय नीतिशास्त्र की समीक्षा की है और इसके विकास का क्रमबद्ध इतिहास प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। लेखक ने यह स्वीकार किया है कि भारतीय नीतिशास्त्र पर कोई सुसंगत और विस्तृत पुस्तक हिंदी में उपलब्ध नहीं है। उन्होंने अपने अनुभवों के आधार पर लिखा है कि इस विषय पर लिखना कितना कठिन है। उन्होंने आशा व्यक्त की है कि यह ग्रंथ पाठकों के लिए उपयोगी सिद्ध होगा और इससे भारतीय नीतिशास्त्र पर और अधिक शोध कार्य को प्रेरित करेगा। पुस्तक के अंत में, लेखक ने अपने सहयोगियों और मित्रों का आभार व्यक्त किया है, जिन्होंने उनके कार्य को संभव बनाने में सहायता की। उन्होंने पाठकों से अपनी पुस्तक की कमियों के लिए क्षमा मांगी है और दूसरे संस्करण में सुधार करने की प्रतिज्ञा की है।


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