साहित्य का उद्देश्य | Sahitya Ka Uddeshya

- श्रेणी: निबंध / Essay साहित्य / Literature
- लेखक: प्रेमचंद - Premchand
- पृष्ठ : 300
- साइज: 4 MB
- वर्ष: 1956
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दो शब्द :
इस पाठ में प्रेमचंद के साहित्य और उनके विचारों का संग्रह प्रस्तुत किया गया है। लेखक ने प्रेमचंद के लेखन को एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और साहित्यिक दृष्टिकोण से देखने का प्रयास किया है। पाठ में यह बताया गया है कि प्रेमचंद की टिप्पणियाँ और लेखन केवल उस समय के साहित्यिक घटनाक्रम से संबंधित नहीं हैं, बल्कि उनमें आज भी प्रासंगिकता और गहराई है। लेखक यह भी बताता है कि साहित्य का उद्देश्य केवल भाषा का निर्माण नहीं है, बल्कि विचारों और संवेदनाओं को व्यक्त करना भी है। प्रेमचंद की भाषा ने विचारों को व्यक्त करने की ताकत हासिल की है, और उनकी रचनाएँ जीवन की सच्चाइयों को उजागर करती हैं। साहित्य को जीवन की आलोचना और व्याख्या के रूप में देखा गया है, जिसमें विचारों और भावनाओं का महत्व है। लेखक यह सुझाव देता है कि साहित्य में केवल व्यक्तिगत प्रेम और भावनाओं की सीमितता नहीं होनी चाहिए, बल्कि समाज और मानवता की कठिनाइयों का भी सामना करना चाहिए। किसी भी साहित्यिक रचना का उद्देश्य यह होना चाहिए कि वह जीवन की वास्तविकताओं को दर्शाए और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करे। अंततः, साहित्यकार समाज का दर्पण होता है, और उसकी रचनाएँ मानवता की भलाई के लिए प्रेरणा देती हैं।
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