प्राचीन भारत में हिन्दू राज्य | Prachin Bharat mein Hindu Rajya

By: बाबू वृन्दावन दास - Babu Vrandavan Das
प्राचीन भारत में हिन्दू राज्य  | Prachin Bharat mein Hindu Rajya by


दो शब्द :

प्राचीन भारत का इतिहास मुख्य रूप से हिन्दू धर्म और संस्कृति से संबंधित है। यह पुस्तक इस बात पर जोर देती है कि किसी भी देश का इतिहास उसके निवासियों का इतिहास होता है, और प्राचीन भारत में अधिकांश निवासी हिन्दू थे। अन्य धर्मों के लोग आक्रमणकारी के रूप में आए, और भारतीय राजनीति में उनका समावेश मुस्लिम आक्रमणों के बाद शुरू हुआ। लेखक का मानना है कि प्राचीन भारत का इतिहास धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण से लिखा जाना चाहिए, जिससे सभी जातियों और धर्मों का समावेश हो सके। हिन्दू संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता सहिष्णुता है, और इस संस्कृति में सभी धर्मों को समान रूप से संरक्षण मिला। प्राचीन भारत में विभिन्न धर्मों जैसे बौद्ध, जैन, और चार्वाक का सह-अस्तित्व था, और राजाओं ने सभी धर्मों को समान भाव से संरक्षण दिया। इतिहास में कई शक्तिशाली साम्राज्यों का उल्लेख है, जैसे नंद, मौर्य, गुप्त आदि, जिन्होंने भारत में केन्द्रीय शासन स्थापित किया। इसके साथ ही, लेखक यह स्पष्ट करते हैं कि भारत पर कई बाहरी आक्रमण हुए, लेकिन हिन्दू संस्कृति और सभ्यता ने उन्हें अधिक प्रभावित नहीं किया। लेखक ने यह भी बताया कि कई आक्रमणकारी अंततः हिन्दू धर्म को स्वीकार कर लेते थे। उदाहरण के लिए, सिकंदर का आक्रमण भारत में बहुत कठिनाइयों से भरा था। चंद्रगुप्त मौर्य ने यूनानियों को पराजित किया और एक सुदृढ़ साम्राज्य स्थापित किया। कुल मिलाकर, यह पाठ प्राचीन भारत के इतिहास को हिन्दू दृष्टिकोण से देखने का प्रयास करता है, जिसमें विभिन्न धर्मों का सह-अस्तित्व, साम्राज्यों का विकास, और बाहरी आक्रमणों का सामना करने की क्षमता का उल्लेख है।


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