ज़िद्दी | Ziddi by


दो शब्द :

इस पाठ में इस्मत चग़ताई के लघु-उपन्यास "ज़िद्दी" का वर्णन किया गया है, जिसमें प्रेम को समाज और वर्ग की सीमाओं से परे चित्रित किया गया है। यह उपन्यास इस्मत चग़ताई के लेखन का महत्वपूर्ण हिस्सा है और उनकी लेखनी की विशेषताओं को उजागर करता है। इस्मत चग़ताई ने अपने पात्रों के माध्यम से मध्यवर्गीय मुसलमान परिवारों में महिलाओं के मनोविज्ञान और यौन कुण्ठाओं को यथार्थता से प्रस्तुत किया है। उनका लेखन न केवल सेक्स से संबंधित है, बल्कि समाज की अन्य जटिलताओं को भी उजागर करता है। उनकी भाषा सरल और प्रवाहमान है, जो पाठकों को गहराई से जोड़ती है। पाठ में बुढ़िया की कहानी का उल्लेख है, जो अपने पोते पूरन और उसके प्रेम को लेकर चिंतित है। बारिश के कारण बुढ़िया की स्थिति खराब होती है और वह अपने अतीत की यादों में खो जाती है। यह कहानी बुढ़िया के जीवन के संघर्ष और परिवार के प्रति उसके प्रेम को दर्शाती है। पूरन का आगमन उसकी जिंदगी में एक नई आशा लेकर आता है, लेकिन उसके साथ आई चुनौतियाँ भी हैं। इस तरह, "ज़िद्दी" न केवल एक प्रेम कहानी है, बल्कि यह समाज के अन्यायों और पारिवारिक संबंधों की जटिलताओं को भी उजागर करती है। इस्मत चग़ताई की लेखनी की विशेषता यह है कि वे भावनाओं को गहराई से चित्रित करती हैं, जिससे पाठक को कहानी में गहराई तक ले जाती हैं।


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