हिंदी रत्न कोश | Hindi Ratn Kosh

By: दामोदर स्वरुप गुप्त - Damodar Swaroop Gupt
हिंदी रत्न कोश | Hindi Ratn Kosh by


दो शब्द :

इस पाठ में हिंदी भाषा और साहित्य के विकास पर चर्चा की गई है। हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में मान्यता दी गई है और इसे देश के हर कोने में बोला और लिखा जा रहा है। पाठ में हिंदी के शब्द भंडार की समृद्धि और इसके विकास के लिए एक कोष की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। इस कोष में हिंदी के विभिन्न रूपों, जैसे कि अवधी, ब्रज, और आधुनिक हिंदी, के शब्दों का संग्रह किया गया है। इसके साथ ही, अरबी, फ़ारसी और अंग्रेज़ी के शब्दों और मुहावरों का भी समावेश किया गया है, जिससे यह कोष हिंदी और उर्दू दोनों भाषाओं का समावेश करता है। पाठ में उपसर्गों और शब्द निर्माण के नियमों का विशेष उल्लेख किया गया है, जो नए शब्दों की समझ में सहायक होते हैं। इसके अलावा, अदालती और व्यावसायिक शब्दों का संग्रह भी किया गया है, जिससे यह कोष विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के लिए उपयोगी हो सके। पाठ के अंत में, कोष की उपयोगिता और इसके विभिन्न संस्करणों की चर्चा की गई है, जो पाठकों के लिए विशेष रूप से लाभदायक है। इस प्रकार, यह पाठ हिंदी भाषा के समृद्ध इतिहास, विकास और उसके शब्दावली के विस्तार की एक संक्षिप्त लेकिन जानकारीपूर्ण रूपरेखा प्रस्तुत करता है।


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