ईशावास्योपनिषद | Ishavasyopanishad

- श्रेणी: उपनिषद/ upnishad श्लोका / shlokas संस्कृत /sanskrit
- लेखक: श्री शंकराचार्य - Shri Shankaracharya
- पृष्ठ : 58
- साइज: 2 MB
- वर्ष: 1992
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दो शब्द :
इस पाठ में उपनिषदों, विशेष रूप से ईशावास्योपनिषद, के महत्व और ब्रह्मविद्या की चर्चा की गई है। उपनिषदों को वेद का ज्ञानकाण्ड माना जाता है और इन्हें वेदांत का शिखर कहा गया है। ब्रह्मविद्या का उद्देश्य आत्मा और ब्रह्म के एकत्व की समझ प्रदान करना है, जिससे व्यक्ति को सच्चे सुख की प्राप्ति हो सके। यह पाठ यह भी बताता है कि उपनिषदों का गहन अध्ययन करने से मनुष्य को आंतरिक शांति और ज्ञान की प्राप्ति होती है। इसमें उल्लेखित है कि बाहरी साधनों से शांति नहीं मिलती, बल्कि इसके लिए अनंत और निर्वाध सुख स्वरूप सत्ता की शरण लेनी पड़ती है। पाठ में यह भी कहा गया है कि उपनिषदों के विचारों को न केवल भारतीय, बल्कि विदेशी विचारकों ने भी स्वीकार किया है। उपनिषदों के माध्यम से मानवता के उच्चतम भावनाओं और ज्ञान की प्राप्ति होती है। पाठ का निष्कर्ष है कि ब्रह्मविद्या की महिमा अनंत है और इसका पान करने वाला व्यक्ति सच्चे सुख का अनुभव करता है। अंत में, अनुवादक ने पाठकों से अपेक्षा की है कि वे इस ज्ञान का लाभ उठाएं और उपनिषदों के गूढ़ अर्थ को समझने का प्रयास करें।
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