ह्वेनसांग की भारत यात्रा | Hensang Ki Bharat Yatra

By: ठाकुर प्रसाद शर्मा - Thakur Prasad Sharma ह्वेनसांग - Hensang
ह्वेनसांग की भारत यात्रा | Hensang Ki Bharat Yatra by


दो शब्द :

चोनी यात्री ह्वेनसांग की भारत यात्रा, जो सन् 626 से 645 तक हुई, भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। ह्वेनसांग, जो एक चीनी तीर्थ यात्री था, ने भारत के विभिन्न स्थानों का दौरा किया और बौद्ध धर्म की शिक्षा प्राप्त की। उसने काबुल और काश्मीर से लेकर कांचीपुर और मद्रास तक की यात्रा की। ह्वेनसांग ने अपनी यात्रा के दौरान विभिन्न शहरों और धार्मिक स्थलों का अवलोकन किया और कई वर्ष बौद्ध धर्म के ग्रंथों का अध्ययन किया। उसने तक्षशिला, काशी, लुम्बिनी, कुशीनगर और नालंदा जैसे स्थानों की यात्रा की। उसकी यात्रा का उद्देश्य बौद्ध धर्म की पवित्र पुस्तकों का अध्ययन करना और भारतीय संस्कृति और परंपराओं के बारे में ज्ञान प्राप्त करना था। ह्वेनसांग की यात्रा के दौरान उसने भारतीय समाज, संस्कृति, धर्म, शिक्षा और राजनीति का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया। उसने भारत के विभिन्न राज्यों, नगरों, लोगों के आचार-व्यवहार, धर्म, शिक्षा, और आर्थिक स्थिति का वर्णन किया। उसकी यात्रा से हमें सातवीं शताब्दी के भारत की सच्ची जानकारी मिलती है, जो इतिहास के अध्ययन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। ह्वेनसांग की यात्रा एक साहसिक और ज्ञानवर्धक अनुभव था, जिसमें उसने न केवल अपने व्यक्तिगत ज्ञान को बढ़ाया, बल्कि भारत के विभिन्न पहलुओं को भी समझा। अंततः, उसने 645 ईस्वी में चीन लौटकर अपनी मातृभूमि में पवित्र यात्रा का समापन किया।


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