साहित्य-सागर | Sahitya - Sagar

By: बिहारीलाल - Biharilal
साहित्य-सागर | Sahitya - Sagar by


दो शब्द :

इस पाठ में साहित्य और काव्य के महत्व पर चर्चा की गई है। लेखक ने साहित्य को मानव जीवन की उन्नति और भावनाओं के परिष्कार का माध्यम बताया है। साहित्य केवल ज्ञान का स्रोत नहीं, बल्कि यह मानवता की भावनाओं को भी उजागर करता है। लेखक ने कहा है कि जिस देश का साहित्य उन्नत होता है, उस देश की संस्कृति और सभ्यता भी समृद्ध होती है। पाठ में साहित्य को दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है: विज्ञानमय और आनंदमय। विज्ञानमय साहित्य में ज्ञान की धाराएं होती हैं, जैसे गणित, इतिहास, और चिकित्सा। दूसरी ओर, आनंदमय साहित्य में काव्य, नाटक और उपन्यास शामिल हैं। काव्य को विशेष महत्व दिया गया है क्योंकि यह मानवता की भावनाओं और सौंदर्य की अभिव्यक्ति करता है। लेखक ने यह भी बताया है कि मानव स्वभाव से सौंदर्योपासक होता है और इसी कारण से कला और साहित्य का विकास हुआ है। यदि मानव सौंदर्य की खोज में न लगा होता, तो दुनिया में सुंदरता और कला का अस्तित्व नहीं होता। उन्होंने यह स्पष्ट किया है कि विज्ञान की प्रगति के बावजूद, साहित्य और कला की आवश्यकताएं कभी समाप्त नहीं होंगी। पाठ के अंत में नायिका और नायक के विभिन्न प्रकारों का वर्णन किया गया है, जो काव्य में प्रेम और भावनाओं की विविधता को दर्शाते हैं। कुल मिलाकर, यह पाठ साहित्य की महत्ता, उसकी श्रेणियों और मानव जीवन में इसके योगदान को रेखांकित करता है।


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