गणितसार-संग्रह | Ganitsar- Sangrah

- श्रेणी: गणित / Mathematics साहित्य / Literature
- लेखक: लक्ष्मीचन्द्र जैन - Laxmichandra jain
- पृष्ठ : 426
- साइज: 22 MB
- वर्ष: 1963
-
-
Share Now:
दो शब्द :
जीवराज जैन, एक साधारण व्यक्ति जो अपने जीवन के अधिकांश समय को धर्म और समाज के उत्थान में समर्पित करने के लिए चयनित किया। उन्होंने 1940 में अपनी संपत्ति का उपयोग धार्मिक और सामाजिक कार्यों के लिए करने का निश्चय किया। इसके तहत उन्होंने जैन विद्वानों से संपर्क किया और विभिन्न कार्यों के सुझाव प्राप्त किए। 1941 में, उन्होंने नासिक के गजपंथा तीर्थ क्षेत्र में एक विद्वत्सम्मेलन आयोजित किया, जिसमें जैन संस्कृति और साहित्य के संरक्षण की दिशा में निर्णय लिया गया। इसके फलस्वरूप, उन्होंने 'जैन संस्कृति संरक्षक संघ' की स्थापना की और इसके लिए 30,000 रुपये का दान देने की घोषणा की। 1944 में, उन्होंने अपनी सम्पूर्ण संपत्ति, जो 2,00,000 रुपये थी, संघ को ट्रस्ट के रूप में दान कर दी। अंततः, 16 जनवरी 1957 को उन्होंने समाधिमरण की आराधना की। इस संघ के अंतर्गत 'जीवराज जैन ग्रंथमाला' का संचालन किया जा रहा है। इस प्रकार, जीवराज जैन ने अपनी जीवन यात्रा को समाज और संस्कृति के उत्थान के लिए समर्पित किया और अपनी सम्पत्ति का उपयोग धार्मिक कार्यों में किया। उनके कार्यों का महत्व और योगदान आज भी सराहा जाता है।
Please share your views, complaints, requests, or suggestions in the comment box below.