प्राचीन भक्त | Prachin Bhakt

By: हनुमान प्रसाद पोद्दार - Hanuman Prasad Poddar
प्राचीन भक्त | Prachin Bhakt by


दो शब्द :

इस पाठ में भक्त मार्कंडेय की कथा का वर्णन किया गया है। कथा में प्रलय के समय की भीषणता का चित्रण किया गया है, जब चारों ओर आग और जल का संहार हो रहा था। भक्त मार्कंडेय, जो ध्यान में लीन थे, संकट में फंस गए और भगवान की शरण में गए। उन्होंने एक बटवृक्ष के नीचे आश्रय लिया और वहां से भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन किए। भगवान ने उन्हें अपनी दिव्य शक्ति का अनुभव कराया और बताया कि वे सभी जीवों के भीतर हैं। भक्त मार्कंडेय ने भगवान से उनके स्वरूप के बारे में जानने की इच्छा व्यक्त की। भगवान ने उन्हें बताया कि वे नारायण हैं, जो सृष्टि के सभी तत्वों के आधार हैं और सभी जीवों के लिए कृपा के सागर हैं। भगवान ने बताया कि वे सृष्टि, पालन और संहार के लिए जिम्मेदार हैं और जब भी धर्म की हानि होती है, तब वे अवतार लेते हैं। अंत में, भगवान ने भक्त मार्कंडेय को आश्वासन दिया कि वे हमेशा उनके साथ हैं और उन्हें सच्चे भक्तों का सम्मान करते हैं। इस प्रकार, पाठ भक्तों के प्रति भगवान की कृपा और उनके प्रति भक्ति का महत्व दर्शाता है।


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