कुरान पारा- १५ | Quran para- 15

By: अज्ञात - Unknown
कुरान  पारा- १५ | Quran para- 15 by


दो शब्द :

इस पाठ में अल्लाह की महिमा और उसकी नसीहतों का विवरण है। यह बताया गया है कि अल्लाह ने अपने रसूलों के माध्यम से मानवता को मार्गदर्शन दिया है, जैसे कि मूसा को तोरात दी गई। इसमें बनी इसराईल की कहानी का उल्लेख है, जिसमें उनके दो बार फसाद करने का जिक्र किया गया है। पहले फसाद पर अल्लाह ने उन्हें सजा दी और उनके खिलाफ सख्त जंगजू भेजे। फिर उन्हें दूसरी बार भी चेतावनी दी गई है कि अगर वे फिर से गलत रास्ते पर जाएंगे तो उन्हें फिर से दंडित किया जाएगा। पाठ में मानवता को अच्छे और बुरे कर्मों का फल बताया गया है। जो लोग भलाई करेंगे, उन्हें उसका फल मिलेगा और जो बुराई करेंगे, वे अपने कर्मों का दंड भोगेंगे। साथ ही, यह भी कहा गया है कि हर इंसान के कर्म उसकी गर्दन में लटकाए जाते हैं और कयामत के दिन उसका हिसाब लिया जाएगा। इंसान की फितरत के बारे में भी बात की गई है, जिसमें उसे जल्दबाजी करने वाला बताया गया है। इसके अलावा, माता-पिता के प्रति आदर और उनके साथ अच्छे व्यवहार करने की हिदायत दी गई है। समाज के कमजोर वर्ग, जैसे गरीबों और मुसाफिरों की मदद करने का भी आदेश दिया गया है। पाठ में यह भी बताया गया है कि इंसान को अपने اعمال का हिसाब खुद करना होगा और किसी दूसरे के गुनाह का बोझ नहीं उठाना पड़ेगा। अल्लाह की तस्बीह और उसकी अद्भुत कुदरत का वर्णन करते हुए, यह भी कहा गया है कि हर चीज उसकी तारीफ करती है, हालांकि इंसान इसे समझ नहीं पाता। अंत में, यह पाठ उन लोगों के लिए चेतावनी है जो अल्लाह के साथ दूसरे देवताओं को जोड़ते हैं और उन पर विश्वास करते हैं। अल्लाह की एकता का महत्व और उसके प्रति सही इबादत की आवश्यकता को स्पष्ट किया गया है।


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